गुरुवार, 30 जून 2011

upar bala bda hicomputerbala?

है कोई उससे बड़ा??
>>>>>>>>>>>>>>>
ऊपर वाला बड़ा ही कंप्यूटर वाला
भिन्न भिन्न क्रिया कलापों से 
जग को चमत्कृत करने वाला
हर व्यति का समय  फीड है
हर व्यति  की दिनचर्या फीड है 
हर व्यति की सत्ता फीड है
हर व्यति की गतिविधि फीड हैं
हर व्यति के कर्मों  का लेखा जोखा फीड है
हर व्यति को पल पल निर्देश देने वाला ऊपर बाला बड़ा ही  ....
कितनी आखें कितनेदिमाग
इस ब्रह मांड  में क्या क्या हो रहा
क्या क्या होने बाला
हर दिशा  को निर्देशित करने बाला 
क्या क्या प्रकृति के चक्र चल  रहे ?
क्या घटित होने को ?क्या क्या घटने बाला ?
किन किन आकांक्षाओं  के संसार पल रहे
मानसिक शांति मानसिक ग्लानि
त्रशना के कियु लोग बीमार  चल रहे 
ऊपर बाला बड़ा ही कंप्यूटर   वाला ..
.कितनी सम्पृति ,कितनी विधाए ,
कितने कितने विचारों को संग संग देने बाला
नाना योनियाँ नाना जीव पैदा करता
लाखो करोड़ों प्रजातियाँ कीट पतंगों को 
आजकल बरसात में हर पल जन्मदेता 
  हर पल  पैदा होते, हर मरते 
हर जीव में जीवात्मा देता
अरबों खरवों शक्लों का मेल नही होने देता
वाणी भाषा में हर व्यति को अलग आबाज़ देता
माया का चक्र निर्वाध रूप से वो ही चलाता
दुर्घटनाओं का  अजीबो गरीब इतिहास घटता
कब कोन किस जगह पे कैसे  मरेगा,
कोन कब तक केसे जीवित रहेगा
उसका वो ही इकलोता फेसला करने बाला /
तृप्ति अतृप्ति  घर-  बेघर चर-अचर  का,
वो ही खेल खेल खेलने बाला ऊपर बाला बड़ा ही ...........  
पत्थरों में प्रकृति  में भी जीबन देता
मौसम व्यस्थित वोही करता 
गर्मी सर्दी बरसात को देने बाला
प्रक्रति   में नियति में संतुलन असंतुलन
वोही पैदा करता  ,वोही पैदा करता वो ही जिम लेता?
उसको कोई चेलेंज नही कर सकता
भक्तों की कही परीक्षा लेता ,
नाना भावनाओं  को पैदा करके 
नाना भावनाओं को आघात पहुचने बाला
  मानव वैज्ञानिक क्या कोई भी उसको समझ न पाया?
उसके खेल निराले जिसे चाहे बनाये जिसे चाहे मिटाए ?
किसी भी व्यक्ति  का घमंड गुरुर उसके आगे नही चलता?
उसकी लाठी में आबाज़ नही है?
हर घमंड गुरुर को वो पल में ही तोडा करता ?
ऊपर वाला बड़ा ही  कंप्यूटर वाला  .......           

dharmo rkshti rkshit:

सब धर्मों  का धर्म है सर्व  हित सुखाये,
हिन्दू धर्म में सब धर्मों के लिए पीड़ा,
हिन्दू धर्म उगले ना कोई बैर  सूखा न गीला!
हिन्दू धर्म मे  ही है सब धर्मों का सार, 
!चिंतन है मनन है,सबके किये मन लचीला!
हिन्दू धर्म में सारगर्भित ज्ञान है ,
गीता का मूल मन्त्र  सब  धर्मों ने लीला ?
हिन्दू धर्म सब धर्मों का का करता है मान,
हिन्दू धर्म मानव  हितों के लिए हठीला !
हिन्दू धर्म में है भाईचारा सोहाद्रता ,
सोहाद्रता ,प्रेम स्नेह के नशे ने सबको  किया नशीला,
हिन्दू धर्म में केशरी, रंग त्याग -तपस्या का प्रतीक,
भगवा है? सूर्य का प्रातः सूर्य उदय सुप्रभात रूप,
जिसने सारे विश्व को  प्रकाश्पुन्जित किना?  
हिन्दू धर्म में  केशरी रंग मानव हितों के ही लिए जीमा!
हिन्दू धर्म में त्याग -तपस्या साधू ,संत प्रक्रति ,
आध्यत्म  ज्ञान  गंगा का तेज़ है तेज़ीला!
हिन्दू धर्म जन उत्थान  की सोच है,
लाखों करोड़ों वर्षों का सतत सनातन धर्म है
  हर पल जोश है जोशीला !निर्मोही, कुछ लोग,
पता नही कियूं आग[जहर] उगलते ,
हिन्दू धर्म के खिलाफ  घर्णा द्वेष  हैं भरते?
हिन्दू धर्म सबके  हित की सोचे ,
सोच में, मिठास में,न कोई छुपा मिठास है जहरीला?   

jina to pdega ?

जीना तो पड़ेगा?
:::::::::::::::::::
जीना  तो  पड़ेगा मुझको?
मरने से बोलो होगा भी क्या?
कर्मभूमि है धरा ,
धरा पे  है जीवन ,
जीवन जीने से पछताना ना ?
मौत तो एक दिन सबको आनी?
मौत से कैसा  घबराना ?
मौत नही हैदुश्मन किसी की भी?
उसे बैरी समझ दूर भाग जाना न ?
ये चोला काया का बोझ ढ़ो नही पाता,
शरीर जर जर बेबस हो जाता या ,
कर्म करते करते करम प्रमुख बन जाता,
उन्नतियाँ मर्म ,मानस को ,
आध्यत्म की सर्वोच्च सीढियाँ,
छूते छूते ऊँची ऊँची होती जाती  ?
बूंद समंदर की समंदर में मिलने लालायित होती ?
स्वर्ग बालों को धरती मानव की ऊच्चाईयां  देख,
मिलने की जरूरत होती ?
मानव की प्रभु से मिलने की इच्छा,
जब प्रवल होती ,भक्त  भगवान एक लय बन जाती ?
नरलोक से मुक्ति की कथा ईश्वर के दुआर  ही गढ़ी जाती?
जीवन मरन जीवन म्रत्यु  एक ही सिक्के के दो पहलू हैं?
निर्मोही अब मरने से होगा भी क्या?
कर्म का ज्ञान  देते प्रभु?
करम छोड़ भाग जाना ना?

jivan drshan?

जीवन दर्शन?
::::::::::::::::::::
शून्य  अधर सा जीवन 
इस काया का अंत विलक्षण?
काया मिलती माटी में,
हड्डी गलती पानी  में?
में  घूम रहा था ,मन वहाँ नही था?
जनम मरण का प्रश्न  वहीं था?
सोचो या ना सोचो, 
मन  माने नही मानता है ,
बुलबुला धीरे धीरे,
हवाके दबाब कोही जानता है,
,साँस प्रसांसके आने जाने से ,
सब ख़त्म हो जाता है?
ऐसा क्षणभंगुर है जीवन ?
पल में जीवन ,पल में मरण ?
कब कोन जाने ,
किस स्थिति में,
कोन जाएगा?
सभी और है    मौत का मों न स्पन्दन      

sb shuny?

आदमी का सोभाग्य कहो या ,
दुर्भाग्य कहो,जेसा आता है,
वेसा ही चला जाता है?
खाली हाथ आना ?
खाली हाथ जाना ?
मन का धन?
कितना भी करलो?
कुछ भी साथ नही जाना 
त्रशाना  समंदर को पीना चाहती 
आकांक्षा इच्छाए कैसी  परवान चढ़ीं
सब का  सब वहाँ  ले जाना चाहतीं?
कितनी भी अमर होने की तरकीबें करलो?
मौत तो एक सच्चाई है ?
मौत नही टल सकती?
वो भी उसके इशारों पे चलती है?

PRAKRATI?

             प्रकृति ?
          ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
नीले नीले व्योम में,
हल्की हल्की यह रुई सी सफेदी
धुयें धुयें से ये उड़ते उड़ते बादल,
रेगिस्तान में ऊँटों के काफिले ,
शेर ,हाथियों के झुण्ड,
बहते हुए पहाड़ोंकी चोटियों से ,
गिरते विशाल जल  राशि के पुंज 
प्यारे प्यारे सेकंडों में चित्र उभरते
पल में बनते पल में मिट जाते? 
बादल घनघोर उमड़ते घुमड़ते
  बूंद दो बूंद  भी नही बरसते?
  कभी सूरज को ढँक लेते ,
कभी घनघोर  अधेरा कर  
सूरज को अंक में भर 
चुम्बन पे चुम्बन कर,
डूबते  दिवाकरके गालों को लाल कर ,
सारी दिशा  में लालिमा भर देते 
कभी रेखांकित समांतर  क्रीडा करते शिशु ,
कभी हिरणों के स्वछन्द उछंल खल,
क्ल्किलोरी   करते झुण्ड,
कभी विचरण  हुए झुंडों के  काफिले  , 
कभी युगल प्रेमी मिलन ?
कहीं फुदकते  फुदकते खरगोशों की टोलीयां ? 
पकृति की अनुपम झांकियां ,हर पल बनती हर पल मिटतीं? 
इन्हें रचने वाला रचनाकार कहाँ है?
तुलिका का जादूगर,
जादूगरी दिखने बाला सरदार कहाँ है?
बादलों के आकार प्रकार क्या मनुष्यों की हार नही है?
मानव वर्षों परिश्रम  कर जो बनाता है,
वो पल में बनाता पल में मिटाता है?
निर्मोही वैज्ञानिक दार्शनिक ,
आध्यात्म बाले भीउससे  हार गये ?
उसकी लाठी में आबाज़ नही ?
उससे कोई क्या  जीत सका है,?
सब खोज, खोज करते, उसके पास गये?        

JIVAN?

जीवन?;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
जीवन शायद एक भोजन है,
संसार एक थाली,
भगवान् इसका रसोइया ,
भांति भांति के,
व्यंजन परोसे
खुद ही परोसे ,
खुद ही खाए  ?
यही बात न ,
मन को भाये?
जीवन शायद एक बगीचा ,
बगीचे का एक माली ,
जो भांत भांतके पोधे लगाता ,
यहाँ ,जो नित्य ही, फलते ,
नित्य फूलते ?नित्य मुरझाते ?
,तपस से ,अंधड़ से झड़ जाते /
नियति  परमात्मा की ?,
बनाता वही मिटाता वही ?
जीवन एक सबेरा ,
संत कह गये,
ना घर तेरा न घर मेरा ,
चिड़िया रेन बसेरा ?
हर रोज़ सबेरा होता है,
हर सवेरे  की
,
 शाम होती है 
हर दिन शाम अँधेरा  होता है?
बचपन से जवानी,जवानी से बुढ़ापा,
फिर कालने ,एक दिन मुंह ढांप दिया? 
  न कोईरहा है न रहेगा?
हर व्यति यहाँ आता जाता रहेगा ?
यहाँ मेला भरेगा ,
भरेगा ,फिर खाली होगा ,
फिर भरेगा फिर खाली होगा ?, 
फिर भरेगा  फिर खाली होगा  

इसलिए निर्मोही ॐ  नाम से प्रीत लगा ले ,
जग माया का चक्कर छोड़ना है, तो ,?
अपने ह्रदय ॐ नाम का अंजन लगा ले ,
यह पहाड साजीवन का  समय कट जाएगा 
निर्मोही ,तेरा जीवन भी सफल हो जाएगा ?
    

बुधवार, 29 जून 2011

drna nhi kisise?

डरना कियूं?
>>>>>>>>
नेता ,अफसर मंत्री से लेकर
चपरासी तक ,?
सब भ्रष्टाचारी ,
एक लाइन में खड़े हैं ?
हमे किसीसे डरना नही?
सब एक थेली के चट्टे बट्टे हैं?

knyadan?

            कन्यादान?
      >>>>>>>>>>>>>
कन्या यारों पैदा न करना,
करना तो उसकी शादी न करना,
शादी करना तो ,
दहेज़ लोभियों में न करना ,
,दहेज़ लोभियों में करना तो ,
डोली से अर्थी तक ,
अपना कर्तव्य समझ ,
निगाह उसके ससुराल वालों पे रखना 
अगर कन्या प्रताड़ित होया डराई  या धमकाई जाये ,
शेतानिय्त  या हेवानियत दिखाई जाये ?
मत छोड़ना ऐसे घर में ,जहाँ ,
उसकी प्रताड़ना या मौत के ,
तगड़े किये जा रहे हों इंतजाम ?
अगर कन्या प्रताड़ित हो ,उत्पीडन की शिकार हो ,
 या जला कर मर दी जाये,
या दहेज़ की बलि चढ़ा दी जाये ?
अपने गुस्से पे काबू रखना ,
काबू रखना, करना तो बस,
इतना करना ,
उन सारे नरपिशाचों को
सारे कुनबे सहित ,
अग्नि में आहूत करते रहना ?
जेसे को तेसा करने में कोई पाप नही !
  यह सांसारिक युद्ध है, कोई मजाक नही !
नही तो ये राक्षस फिर शादी करेंगे,करवाएंगे ,
मानवता,इंसानियत इनमें है ,नही?
फिर  किसी कन्या को द हे ज की बलि चढ़ाएंगे ?
कानून व्यस्था सब जानते?
रूपया पैसा खरीद रहा सब मानते?
गवाह सबूत,पुलिस डायरी  ,रिपोर्ट 
सब बदल दी जाएगी?
एकभी दहेज़ लोभी को,
फांसी न लगी हैं न लग पायेगी ?
कहते कानून अन्धा होता?
न्याय का एक सीधा साधा , फंदा होता ?
सेंटिग जमाई जाती है ,
न्याय प्रणाली कितनी जबर्दस्त है?
पेसे की बलि चढ़ाई जाती है .
सालों केस घसीटते   रहते ,
तारीख पे तारीख बढती रहती ,
घर बाले परेशान होते रिश्ते दार,
बिन मांगे सलाह  देते,लडकी गई ?
अब लकीर पीटने से क्या फायदा ,?
लडकी तो वापिस आने से रही?
कियु,उसकी, अपनी मट्टी पलित कराते हो?
आज कन्या भ्रूर्ण  हत्याएं  बढ़ रहीं,?
लोग मानवता ,इंसानियत बेच बेठे हैं?
भगवान् भी नर पिशाचों को,
जुर्म करने बालों को,
तुरंत की तुरंत सज़ा नही देता?
लम्बा,सालों  साल  इंतजार करता रहता है ?
कहते है उसकी लाठी में आबाज़ नही?
पड़ेगी कब?ये कोई हिसाब नही?

jntantr?

          जनतंत्र ?
          >>>>>>
नेता मेरे देश के,
दो मुंह बाले .,
दोगले ,बेईमान
जनता अच्छा समझ,
चुनचुन हो रही है हेरान  ?
मुखोटे बदल जाते?
हैं तो सारे,
एक जेसे इंसान
कई कई  तो ,
बिना जिताए ही 
जीत जाते, नकली बोटिंग,
कराते फर्जी मतदान?
कई कई तो बूथ कैप्चरिंग के महारथी?
कई आतंकी ,नक्सली ,माओवादियों की ,
पकड़े फिर रहे कमान ?
कई कई भूमाफियाओं के  लीडर?
कई माफियाओं के सरगने ?
कई गुंडों के सरदार ?
कई पैसों के बल,चला   रहे  
 अपनी राजनीती की दुकान?
भ्रष्टाचारी हैं?अत्याचारी हैं?
हेवानियता  के अबतारी हैं ?
कालाधन इनका विदेशों में 
,ये राष्ट्रद्रोही राष्ट्र सम्पदा के
  लुटने के जन्घय अपराधी हैं?
ये निर्मोही प्रजातंत्र ,लोकतंत्र ,
जनतंत्र के मिटते निशान ?

मंगलवार, 28 जून 2011

ruk jao ye kya kr rhe ho?

 मेरा देश का क्या कर रहे हो?
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धर्म और देशको अपनी भूख न बनाओ?
धर्म और मजहब के नाम अपनी रोटी मत चलाओ ?
इंसानियत भी कोई चीज है, अनेतिकता को न आजमाओ?
सवर्ण,  दलित, पिछड़ा ,अल्प संखयक गोटी मत खेलो?
जनता भोली भाली इन्हें न यूँ ही  बुद्धू और न बनाओ?
  इन्सनियता को कियूं गंदा  कर रहे >?
बहुत कर चुके मनमानी ,अब और पाप न कमाओ?

ye kon hain?

हिंसक दरिंदों ने कई मासूमों को ,
गोलियों से भून डाला ,
कई बच्चों , किशोरों ,युवाओं को ,
बम विस्फोट से उड़ा डाला,
किसीकी जिन्दगी की लाठी ,
किसीके भाई को,किसीके जबाई को ,
किसी के बच्चेको ,उसकी  माँ से छिना,
  किसी  बहिन के भाई को,उससे जुदा किया
किसीके पिता किसीके पति को  एक झटके में उड़ा डाला ?
जेहादी अंधी धर्मान्धता  के झंडे  तले ,
मुल्ला मोलवियों के जेहादी स्वर को भुना डाला,
आदमी एक मरता , सारा की सारा परिवार ,
क्या इन्हें मार?जन्नत पायेंगा?
शह जिने देते आये क्या?वो सारा कुनबा ?जन्नत  जाएगा ?
क्या कभी सोचा ये आतंकी ,जेहादी ?
कुत्ते की मोत मारे  न जायेंगे?
चिल कोवे भी इन्हें खाने से बाज आयेंगे?
क्या कह सकते हो तुम्हारे मरने पे'ये कुनबा,
नर्क की आग में झुलसता जिन्दा बच पायेगा?
जिनने इन्हें आतंकी खुनी  जेहादी बनाया है
वही लोग खुलके चटखारे लगायेंगे ?
  खुद तो कभी लड़ने  जाते नही ?
कब तक माईन्ड  ब्रेन वाश कर कर
,लोगों को वेवजह मरवाएंगे?
परिवार इनके भी अपाहिज बनेगे ?
कई मुर्दों को ,कफन भी नसीब ना हो ,पायेंगा ? 
बंद करो ये आतंकी कैंप,  बंद करो ये हिंसक उपद्रव ? 
शांति से रहो शांति से रहने दो? न आदमी ,
कुछ लेकर के आता, न ही कुछ लेकर के जाता?
ये खुनी जेहाद ,आतंक का खेल,
ये लोग कब तक खेलते जायेंगे?

शुक्रवार, 24 जून 2011

abla nari?

                    अबला नारी?
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नारी ही नारी की दुश्मन ,कहते अबला है  नारी?
नारी सबला  की भूमिका में,कहाँ है  अबला नारी ?
नारी ही खलनायक बन, कन्या भूर्ण हत्या कराए
कहाँ है कमजोर नारी?  नारी ही नारी की दुश्मन बनी है?
लिए फिरती स्वार्थ  अहंम की खुमारी ?
नारी संघर्ष  करे तो केसे? जब हाथ धोके पीछे  पड़ी है नारी?
सास ,ननद ,जेठानी,भाभी ही खाने को पीछे पड़ी रहें?
ये ना सोचें वो भी तो है एक नारी?
हत्यारों  के बीच अकेली होती?नारी?
मायका पक्ष  कमजोर ? सोचता नही? 
उनकी लापरवाही से फ़िज़ूल  में मारी जाएगी  नारी?
वो उसकी अपनी कन्या है ,बेचारी असहाय किससे गुहार करे? 
एक बार लगी कन्या ठिकाने ,पीठ पीछे मुड़कर नही  देखता ??
मायका पक्ष कमजोर है पड़ता?,कहता लडकी की, किस्मत है हमारी?
भाग्य में उसके लिखा हुआ जो , ?वही होगा ?
हार जाती कन्या? हत्यारी सास पिपासु से?
मारी जाती नाना पापा चारियों  दुआर ?
स्वार्थी लोभी कितनी ही झूठी कहानियाँ गढ़ते?
कहीं डिलेवरी पीरियड  में ,कहीं आग  में जला मारते?
पुलिस पहले तो?एफ  आई आर दर्ज नही करती?खा पी के  डराए kmjorooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooo

narendra nirmohi: jidd?

narendra nirmohi: jidd?: "जिद्द? हथेली पे सरसों उगाने चले थे, >>> आसमान सर पे उठाने चले थे? एक ठोकर खाई सब सपन..."

jidd?

जिद्द?                  हथेली पे सरसों उगाने चले थे,
>>>                    आसमान सर पे उठाने चले थे?
                    एक ठोकर खाई सब सपने बिखर गये?
                    परवाने अपने आपको ,मिटने चले थे?

nari aur neta

नारी उत्थानकेंद्र  में दिया  गया 
नेताजी दुआरा महिलाओं को पुरुस्कार?
रात उनके सम्मान में भोज रखा  गया?
जिस्म की  धज्जियां उड़ाई गईं जबरन?
वो रोती रहीं गिड गि डा  ती  रहीं?कोन सुनने वाला है ?
दारू का नशे में  ग़र्म गोश्त के सोदागरों ने एक न सुनी
कहते रहे तुमारी जिन्दगी हो जाएगी भवसागर से पार?
नेताजी उनके चमचों का दुष्कर्म कई जगह देखने को मिलता है ?
राजनीती की गंदगी क्या नेताओं का सोदा है  ?   

mili bhagat?

सरकार करोड़ों अरबों की सबसिटी
देने का ,प्रोपगंडा करती है
फायदा पूंजी पतियों को देती 
जिसका फायदा दोनों  मिलकर  उठाते हैं ?
अरबों खरबों  डीलिंग का पैसा 
रास्ट्रीय सम्पति को दोनों मिल चुना लगाते हैं ?
जो ये, मिलकर हजम कर,
विदेशी बैंकों में जमा कराते हैं 
वोही कालाधन,जोराष्ट्र   का है ,
जनता वापिस चाहती है?इसमें भ्रष्टाचारियों को,
मिर्ची कियूं लगती है?  

maya?

हवा का बुलबुला,
सभी से यह सबाल
पूछा करता है?
माया तेरा चक्कर ?
कब तलक चला करेगा ?
कियूं  की ,
जो इन्सान आता है, 
फिर चला जाता है!
फिर रूप बदल कर आजाता है?
आना जाना जीवन का ,
  माया का चक्कर ही तो है ?

mgrurkhamosh dil ne aag sa tufan utha diya

खामोश दिल ने आग सा 
तूफान उठा दिया ?
वो मगरूर ऐसे रहे 
मिलने भी न दिया 

गुरुवार, 23 जून 2011

nai sdi me aashakiti?

नियति की गोद में फैली हैं ,
गुमसुम-गुमसुम,प्रक्रति की सौगातें ?
फूलों की तरुनाई जिसमे,
तितली भंवरों की गुपचुप -गुपचुप बातें ?
मधुर शहद वाणी से टपके ,
शीत यामिनी वरसाती ओस  की फुहारें ?
नाना पतंगे,जलते शमां में,
  निकसे,निर्वाण  से ,नित नई बहारें, ?
ऐसे ही आता, आदमी ,जाता आदमी,
ना ही कुछ , लेकर के आता ,
ना कुछ , ले क र के, जाता ?
फिर भी, समेटे रहता ,
आकाश समेटने बाँहे कियु ?

KYA 21VI SDI AESI HOGI?PRADUSHAN NE JL,THL,NBH ME,BHARI TAVAHI MCHAAI HAI,

21VIN SDI KI HINDI?ABHIVYTI

अभिव्यति की सरल,
बोलचाल की भाषा बन ,
हिंदी उभरी है?सारा विश्व ,
लोहा मानता? हिंदी वैज्ञानिक भाषा है !
हिंदी पताका हर देश   विदेश में फेहरी है?
इन्टरनेट, विश्व के टी. वी .की विभिन्न  चेनलों पे,
हिंदी सुप्रभात सी उदित सी चहकी  है !
वैर नही अंग्रेजी या किसीभी भाषा से 
सबके संग संग हिंदी भीं रहती है 
हर देश की अपनी मात्रभाषा होती 
फिर भी  हरदेश हिन्दीके कार्यकर्म बना रहा
करोड़ों अरबों रुपिया  हिंदी विज्ञापनों से,
देश विदेश  सभी कमाई कर रहे ,
हिंदी की महक सभी दूर लहकी है!
हिंदी समाचारों ने ढाल बनाई  
 95%लोग देश के हिंदी बोले समझें !
१६८ देशों में हिंदी पढ़ी जारही ,
बोलचाल की भाषा हिंदी सभी देशों में धहकी है !
निर्मोही सभी धर्मों की हिंदी  को मिली स्वीकृति,
भारत माता  पुत्री हिदी ,हर दिल में रहती है 

narendra nirmohi: 21vi.sdi, klpna?

narendra nirmohi: 21vi.sdi, klpna?: "प्रदुषण से हार के ,जीने का मोह, छोड़ गये पक्षीराज? मानव को , आज की मानवता खाए जा रही, बढती जा रही, अनेतिकता की रफ्तार ? नेतिकता,इंसानियत..."

21vi.sdi, klpna?

प्रदुषण से हार के ,जीने का  मोह,
छोड़ गये पक्षीराज?
मानव को , आज की मानवता 
खाए जा रही,  बढती जा रही,
अनेतिकता की रफ्तार ?
नेतिकता,इंसानियत ,किस,
कोने पड़ी सिसकती ?शेतानियता ,
खुले आम करती फिरती अभिसार?
मरुस्थल  में हरियाली, पग -पग खिलती,
बंजर बनते जारहे शहरों में बागे बहार?
राह चलना दूभर हो गया ?
बढती जारही वाहनोंकी कतार?
निर्मोही तुम कियूं दुखी हो रहे?
२१ व़ी  सदी क्या शुरु से ही ? 
दिखा रही अपना जलबा  बार बार!
गुजरात भूकम्प त्रासदीसे गुजरा , 
चीन अमेरिका तक मे बढ़  का कहर,
कई जगह सुनामी  का प्रकोप से  तवाही आई थी ,
तुनामी ने जापान की हालत खस्ता ,
करके रख  दी इस बार ?
ज्बालामुखी के राख के बबंडर ये तो, 
२१ वीं सदी के पहले दशक  की दस्तक थी ?
भविष्य में ९दशक  किसे मिटायेगे ,किसे सजोयेंगे,
नियति फेसला करेगी इस बार?          

aatm stuti

हम राणाप्रताप वंशज ,
सिसोदियों के मान रहे
  मनहर के  हम कुलदीपक
सात भाइयों की   जान  रहे
कवि भूषण पिताश्री ने 
 हममे काव्य शंख फूंका था
कविता हमारी विचार अभिव्यक्ति  
हमने अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा  था?
हमारी कविता को कविता कहों या,
प्रयोगशीलता या व्यंग?या ,
अकुकांत तुकबन्दी या कहोंया  फूहड़  हठधर्मी ,
हमने हिंदी साहित्य देश सेवा व्रत  उठाया है
व्यंग,हस परिहास,तीखापन हमने,
सबको अपने रंग में आजमाया है
स्नेह प्रेम मनोवल से आपने हमारा ढाढस   बढ़ाया  है 
राग द्वेष किसी से नहीसत्य को
सत्य कहने का होसला बनायाहै
आत्मनों को हर दिन खुश गुबार गुजरे
भारत माँ ,अपनी भारत माँ  की सेवा करें
माँ से बढ़कर किसीको मान न दें, 
  भ्रष्टाचारियों को न अभिमान दें   

बुधवार, 22 जून 2011

stta ki dlali?

सत्ता कहती [आत्मवलोकन]योग्यता गई तेल लेने ?
बाज़ारों में टके सी बिकती है ?
विदेशों का ख्याल हमे रखना पड़ता?
जिसके लिए  हमे? तगड़ी दलाली मिलती है ?
योग्यता को हम विदेशों को निर्यात करते ?
जिससे ह् मारी रोजी रोटी चलती है 
हमारी भ्रष्टाचार की  रकम ,
हमारे विदेशी खातों में जमा होती है?
हमारी मेहनत को जनता कालाधन कहती है ?
पहले लाखो करोड़ों में होती थी ?
अबतो हजारों करोड़ों में होती है?
सेकड़ों विदेशी कम्पनी  बिन मांगे हमारे खातों में जमा करती?
  जनता कहती हमारी फिदरत दिखती है?

jnta?aarkshn?

जनता योग्यता की पक्षधर, 
फुट डालो राज करो सरकारी ऐ लान ?
भले ही आरक्षण छूत का रोग बन जाये ?
सरकार करती रहेगी ?आरक्षण का घिनोना काम ?
सवर्ण छोड़, जातिवाद का जहर, 
आम लोगों में फेला रही?
दलित ,अति दलित अल्प संख्यक ,
पिछड़ा वर्ग  जेसे कई वर्गों में बाँट बाँट,
सत्ता की कुर्सी को  समझे तीर्थधाम  ?
भले ही आरक्षण नासूर,केंसर सा  बनता चला जाये ?
सत्ता को चाहिए कुर्सी ,भ्रष्टाचार  का इनाम ?

rajniti ki gndgi?aarkshn?

आरक्षण कर सरकार ,देश में ,
फेला रही  वैमनस्यता का जहर
योग्यता गई तेल लेने ,?
गुणवत्ता  का अनदेखा कर,
ढा रही इंसानियत पे कहर?
स्वार्थ राजनीती में अहंम हुआ , 
सिक रही राजनेतिक रोटी बेमेल निडर ?

mn ke kante

[१]आप क्या  भगवान हैं ?
जो करें प्रवचन रोज?
अपने को ज्ञानी ध्यानी समझें?
थोपना चाहते अपनी सोच>?
[२]आत्म वंचना है जीवन ?
स्वार्थ अहंम  की देंन ?
/न छोड़ा जाये हट मानस ,
न जाने कोंन सी पकड़ रखी है लेंन ?
[३]तेरे मेरे के फेर में,
मन गुलाटें खाए ?
अहंम भरा मय  में  में  मेए?
मन हर पल गुलाटें खाए?
[४]मन बना है जानवर?
किसके कहने से चलता जाये
जंगलराज शहरों में फेला 
कोंन जाने ? कब ?शिकार हो जाये?
[५]भोग रोग तो महारोग है 
कोई भोग से, मुक्त न हो पाए  
,म्रत्यु काया का विसर्जन ,
अपने पास कुछ भी न रह जाये ?
[६]ये रूप लावण्यता तो,
ढाह  जाएगी कियु?
रूप का करो अभिमान 
जीवन म्रत्यु तो साधना 
कियूं अपने को समझो महान?

narendra nirmohi: sty hi eswer hai

narendra nirmohi: sty hi eswer hai: "सत्य की तस्वीरें पहचानो , आपस में लड़ना छोडो ? हिन्दू मुस्लिम ईसाई का झगड़ा छोडो ? सत्य ही इश्वर है ,सत्य को पहचानो? अपने हेवानी इर..."

narendra nirmohi: jivan chhina kiyun?

narendra nirmohi: jivan chhina kiyun?: "hr vyati jnam leta mrta jrur hai karmfl pradan jivan, krmon ki sza bhugtta jaru hai? pr yh kya huaa ? janm liya aakhen kholin? snsar s..."

mnki pida

ध्यान ज्ञान अज्ञान में हम डूबे हैं?
हम स्वार्थी दंभी  लोग?
अपने कल्याण की जंग छेड़े ?
पाप कर कर ,लगाये रहते  
खुद के तर जाने की होड़ ?
पाप कर कर पुन्य,
करने का दिखाबा करते ?
हम हेवानिय्त  ,शेतानियत ,
मन में रखे रखे जीते हैं लोग?

swart aur arth?

कितना तनाव जीवन में ?
कोंन मन से सुखी बोलो ?
कारणअर्थ ही समझ में आया ?
कोंन अर्थ  से सुखी है बोलो?
कितने निर्दोषों का लहू ?
अर्थ पाने लोगों ने?
मानवता से हटकर बहाया?
इंसानियत छोड़,
हेवानिय्त का सहारा लिया  ?
फिर भी अर्थ वह पे कोंन ले गया ?
कहते हैं?सिकन्द् र ?
विश्व  योद्धा भी गया था?
ख़ाली हाथ ही गया था?
चंगेज़ खान, हिटलर ,मुस्लोनी,
 बोलो कोंन कोंन क्या ले गया था? 
ख़ाली हाथ आना ख़ाली हाथ जाना ?
फिर ये हेवानियत का?
नंगा नाचकिसलिए? किसलिए?
मन का धन कितना भी करलो ?
धन क्या ले जा पाओगे/?
जब विस्तरे पे गिर गये
[कहते हैं उसकी लाठी में आबाज़ नही?होती]
रोओगे, चिल्लाओगे, गिड़ गिड़ाओगे,
तड़पोगे , मंगोंगे मोंत तो म़ोत नहीं मिलेगी?
घिसटोगे,लकबा लग जाएगा ,
दुखती रग को उसने ही बनाया है?
वो कहेगा पेसे से अब  जीवन की  साँस  भी खरीद लो ?
तब क्या भ्रष्टाचार ,कालाधन  संग्रह ,
तेरे पाप काम आयेंगे?
उसने ही बिमारियों का जाल बिछाया है?
सुगर वाला मीठा खाने को तरसे ?
लकवे वाला , पोलियो वाला चलने को तरसे>?
म़ोत चाहने बाला म़ोत  को तरसे?
कभी कभी एक दिन का बुखार, सारे शरीर को तोड़ दे ?
प ह लवान शेर कोभी उसने कमजोर करके दिखाया है?
वायरस का एड्स का केंसर का भय भी उसने ही जगाया है ?
इन्सान  जीता अर्थ के लिए इंसान मरता अर्थ केलिए/ लिए?
आदमी आदमी को मार डालता स्वार्थ  अर्थ के लिए?

swarg me kya rkha hai?

स्वर्ग में क्या रखा है ?
स्वर्ग में भीड़ है भारी?
स्वर्ग में भी परेशानी,
उठाने से क्या फायदा ?
वहां भी सुकून न मिला तो ?
क्या परेशानी है यहाँ नर्क में ?
यहाँ रहकर किल्लतों से लड़ेंगे?
जंग हमारी हर जगह रहेगी जारी?

मंगलवार, 21 जून 2011

sty vichar?

मन हर्दय आत्मा पुरुस्कृत
चंमत्कृत  रहे यह संसार 
आता आदमी जाता आदमी
छोड़ जाता जग पे सब उधार 
न कुछ लाता न ही कुछ ले जाता?
फिर भी त्रसना का आदमी,
लिए फिरता संसार ?सच्चा गुरु ,
जहाँ में कोई नही यह है कलियुगी संसार ?
इस्वेर ही चिरन्तन सत्य है 
सच्ची भक्ति आत्म तत्व की,
जो लगती भवसागर से पार

sty hi eswer hai

सत्य  की  तस्वीरें  पहचानो ,  आपस  में  लड़ना  छोडो ?
हिन्दू मुस्लिम ईसाई का झगड़ा छोडो  ?
सत्य ही इश्वर है ,सत्य को पहचानो?
अपने हेवानी इरादों को मोड़ो ?
हम राम क्रिशन  शिव रूप में उसी को भजते हैं
पांच वक्त  की नमाज़अदा  कर तुमभी , 
उस रव से ही
सजदे करते हो ,इश्वर  पुत्र इशु को याद कर 
इश्वर कोही तो भजते हो उस रब की इशु के लिए आतंक वाद छोडो तुम?

गुरुवार, 16 जून 2011

prakrti mki maya?

suna suna aagan mera
diya dur bhut dur timtimata rha?
dur bhut durdhvni ansh
nishachar hmko dekho bula rha?
mand -mand ,bhini -bhini si
hlki hlik ,mhki -mhki
siri -siri hva hilore leti rhi
pvan muskati jhonke leti
taron ka jhund jese
sansadon ki sbha ho rhi
pradhan chanraraj
spt tare mantry mandal me
pkrati ki anvarn maya sushobhit ho rhi
sb kam silsile barho rha
fulon ki mand mand mhak
hva me sugndh bhr rhi
sunati hume fulon ki rani hai?
khil jate ful jo fir khil ke murjha ke
bikhr jate hain?ese hi
bachpan jvani budhapa fir mout ka
khel? upar vala khela krta hai?
aata insan, jata insaan
koi bhi chl achal shashvt nhi hai?

nirmohi tumhe bhi ekdin jana hai
koi bhiamar nhi fir ye aham ye gurur
aadmiyon ko kisliye?



jivan chhina kiyun?

hr vyati jnam leta mrta jrur hai
karmfl pradan jivan, krmon ki  sza
bhugtta jaru hai?
pr yh kya huaa ?
janm liya aakhen kholin?
snsar se nata joda,
mukuraya ,roya aur chal diya?
purab janam ka fl tha,
jindgi garbhkal tak hi simit thito,
use purab jnam mehi jine diya hota?
use sudharne ka,
ek moaka to aur diya hota?
jivan vilchhan saty hai mana
yh shi hai ?
aana -jana ,jana fir aana  jag ki rit hai
jo jnam leta vo mrta jrur hai?
pr kisi ki bhi mout, ?
kitnon ko pratadit kiya krti hai
chhobh ,moh ,viyog parivar ,
mmta  krandanthik hai,
shishu ka snsar se judna palayan krna
nirmohi ki smjh me nhi aata ?