मंगलवार, 26 जुलाई 2011

narendra nirmohi: srkari subidha?

narendra nirmohi: srkari subidha?: "करोड़ों अरबों के घोटाले कर नेता ,मंत्री अफसर ,कर्मचारी सब मिल , सरे आम लूटमार मचाने लगे? देश की चिंता किसे है? सब छककर छप्पन भोग , पै..."

narendra nirmohi: stechu?

narendra nirmohi: stechu?: "भ्रष्ट,भ्रष्टाचारी , अब लूटपाट के नये नये पाठ देश को पढ़ाएंगे ? भ्रष्टाचार अब भ्रष्टाचार की, श्रेणी में नही आएगा , उसे सुबिधा शुल्क का द..."

gribdas ka spna?

********गरीब दास का सपना *******
मंहगी,बेकारी से तंग  होकर ,
गरीबदास ने जहर पान के लिया 
चाहत थी देश केलिए कुछ करने की
,  तमन्ना लिए, लिए ही,
जिन्दगी का खात्मा कर लिया ?
५ सालो  से बी ई करने के बाद 
 क हाँ क हाँ  की खाक उसने नोकरी के लिए नही छानी थी?
८७% लाकर भी उसकी किसीने कदर न की,
नोकरी के लिए सिफारिस,देने को २०लाख  न थे ?
 घर उसकी पढ़ाई में पहले ही बिक चूका था?
माँ भी बहिन पिताजी एक भाई  पे भी बोझ बना हुआ था?
मोंत को गले लगाकर समझा ,
सारी समस्याओं का अंत करलिया?
मरते ही वो रोल में आगया 
प्रधान मंत्री की कुर्सी पे जा बैठा 
आर क्षण को हरस्तर   पे खत्म कर डाला ,
योग्यता प्रतिभा ही इस देस मे
चलेंगी तुरंत अध्यादेश जारी कर डाला ?
भ्रष्ट अफसर , मंत्री, सांसद विधायक,अध्यछ 
रासुका में अन्दर कर डाले, भ्रष्टों  को चलता किया 
रासुका मे बंद  भष्टचारियों  की जाँच २४घंटे  में पूरी करे
और नो  डी ले नो रिले दस दिन में युद्ध स्तर पे सेना से करा ,
सबको अगले दिन  फांसी पे दोषियों को चढ़ा दिया ?
पेट्रोल २५ रूपए,गैस सिलेंडरों कीकीमत कम  कर १०० का किया?
 डाले सक्कर सब्जी सस्ती की महंगाई कगुरुर भंग किया 
डीजल २०रुपिए  कर डाला 
कालाब्ज़रियों .जमाखोरोंको आजीवन कारावास,
कालेधन  भ्रष्टाचारियों को  फांसी की सज़ा का प्रावधान कर डाला 
गुंडे,माफिया  भू -माफिया को  ऊपर पहुचाया 
कलियुग में येतो होता ही है कहना खत्म किया 
काली गुमनामी सम्पति को  राजसत किया 
गरीबों को ठहरा  दिया एक परिवार एक मकान
एक परिवार सदस्य एक कमरे से ज्यादा नही 
गरिबों  को ठहरा दिया जनहित ,लोकहित का वट वारा
  सम्पति, लगता था सतयुग आगया 
क्रांति कारियों का शहीदों का सपना 
गरीब दास ने एक सप्ताह में पूरा किया 
गरीबदास सुख की नींद सोने लगा था    
जैसे ही नींद खुली लोग घर वाले ही उसे मार रहे थे 
क्या सपना था ?गरीबदास पित के भी खुश था 

रविवार, 24 जुलाई 2011

narendra nirmohi: hindi dukhi?

narendra nirmohi: hindi dukhi?: "$$$$$$$हिंदी दुखी?$$$$$$$$$ हिंदी अपने देश मेही हो रही है परेशान ? कागजों में राष्ट्र भाषा , हकीकत में राजनीति की दुकान ? देश के बच्चों को ..."

hindi dukhi?

$$$$$$$हिंदी दुखी?$$$$$$$$$
हिंदी अपने देश मेही हो रही है परेशान ?
कागजों में राष्ट्र भाषा ,
हकीकत में राजनीति की दुकान  ?
देश के बच्चों को लगे 
हिंदी की फीकी दुकान?
  देश में ९५ %लोग बोले समझें ,
फिर भी सत्ता की,
अंग्रेजी की बन रही मचान ?
साल में एक दिन १४सितम्बर को? 
हिंदी दिवश मनाते,
वोभी कई जगह अंग्रेजी के वेनर तले ?
हिंदी भाषी ही हिंदी के बने दुश्मन महान?
सारा विश्व  हिंदी की कद्र कर रहा,
हम हिंदी  को हेय  समझ?
गली गली मोहल्ले मोहल्ले ,
बनाते जारहे अंग्रेजी के निशान
हिंदी सशक्त इत नी फिर भी,
सत्ता के दलाल,
अंग्रेजी को ही रहे  पहचान ? 
अनेक देशों में हिंदी पढ़ी जा रही ,
निर्मोही हिंदी की निराली हो रही शान

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

kya yh sty hai?

((((((((((क्या यह सत्य है )))))))))))))
चेहरे बदल जाते, होते हैं एक से फिदरती इंसान>?
एक फिदरती  इंसान ने किया ऐसा ही कमाल ?
करोड़ों अरबों की सम्पति इकठ्ठी  कीऔर होगया निहाल ?
फुटपाथी था कभी  जी हजुरी किया करता था  ,
एक नेता के पैर पकड़ लिए, और सीढियाँ चढ़ता गया!
मंजिल पा भूल गया सबकुछ तोड़ डाली बैशाखी ?
और जेसा होता आया चलने लगा अपनी फिदरती चाल,
हर नेता की एक सी कहानी,हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार ,
कालाधन विदेशी बैंकों  मे है ,सूखा  हो  या  बाढ़ आये ,
  सब नेता अफसरों को गंगा नहानी है 
जनसेवा की बाते तो आजकल बेमानी है  
यह   झूठी नही सच्ची  नेताओ की कारस्तानी है?
निर्मोही पेर छुलाऊ संक्राति चल रही कोई क्या करेगा  
जनता जानते  बूझते उनकी दीवानी?

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

narendra nirmohi: pida hindi ki?

narendra nirmohi: pida hindi ki?: "%%%%%पीड़ा हिंदी की?%%%%% हम हिंदी भाषी बदलें हैं न बदलेंगे विदेशियों के पसीने से खुशबु आती हम कहाँ कहाँहिंदी को डुबोवेंगे? हमारे बच्चे ह..."

pida hindi ki?

%%%%%पीड़ा हिंदी की?%%%%%
हम हिंदी भाषी बदलें हैं न बदलेंगे 
विदेशियों के पसीने से खुशबु आती
हम कहाँ कहाँहिंदी को डुबोवेंगे?
हमारे बच्चे हिन्दुस्तानी  होकर भी हिंदी नही जानते 
,हिंदी कब भला सीखेंगे?
सारे देश को हम अंग्रेजीमय बनाना चाहें
हिंदी को कब तक निचोडेगें ?
अपमान के घूंट  पिलाते हिंदी को?
कब कहाँ केसे अंग्रेजी से उबरेंगे?
बच्चे गिनती  पहाडे अंग्रेजी में जानें 
कह सकते हो हमे मम डेड  मानेंगे?
कुकुरमुत्ते से हर ग ली मोहल्ले में,
अंग्रेजी स्कूल उगाते,हम ,
अंग्रेजी गुलामी से कब उबरेंगे? 
एक शब्द हिंदी का दस शब्दअंग्रेजी के पटकते ,
हिंदी के लिए नित्य नये गड्डे खोद रहे 
पाश्चात्य भोतिक संक्रति में कब तक  डूबेंगे ?
हिंदुस्तान ,भारत कहने में अपने ही देश को शर्म आये ?
हम इंडिया के फोबिया से कब तलक उबरेंगे?
९५% लोग हिंदी बोले समझें ,
२४ घंटे हिंदी का जादू विदेशी चेनलों पे चलता
अरबो  खरबों विदेशी हिंदी विज्ञापनों से हैं कमाते?
निर्मोही हम अपनी पगली बुद्धि  कब बदलेंगे ?

narendra nirmohi: narendra nirmohi: ::::::::::::जवानों का जज्बा ::::...

narendra nirmohi: narendra nirmohi: ::::::::::::जवानों का जज्बा ::::...: "narendra nirmohi: ::::::::::::जवानों का जज्बा :::::::::::मात्रभूमि स... : ':::::::::::: जवानों का जज्बा ::::::::::: मात्रभूमि सिर्फ, धरती क..."

ye kesaa sa junun hai ?

{{{{{{ये केसा जूनून है}}}}}}}}}
हिंसक दरिंदों ने कई निहत्थे , मासूम को गोलियों से भून डाला?
कई महिलाओं के बच्चों को, वम बिस्फोट से उड़ा डाला ?
बुड्डे नादेखे जवान ना देखे?सबको एक सेकंड  में मुर्दा कर डाला?
मानवता नही,इंसानियत नही ,हैवानियत, दरिंदगी का मंजर दिखा डाला?
किसीका भी ,किसीकी जीवन की लाठी छिनी?किसीके सपनों को चूर चूर कर डाला ?
किसीसे  भाई छीना, किसीके बच्चे को छीना, किसी से  पति,
किसीके सर  से उसके  पिता का साया छीन मारा ?
खुनी   जेहाद ,अंधी धर्मान्धता के झंडे गाड़े ,
मुल्ला  मोलवी पीर फकीरों  के मुंह  से एक शब्द  न फूटा?
आदमी एक मरता परिवार सारा नरक की आग में झुलसता है? 
क्या निर्दोषों को मर जन्नत पाएंगे?क्या कभी सोचा है?
येकुत्ते की मोत मारे  जायेंगे?चिल कोवे भींकी लाशोंको हाथ ना लगायेंगे?
परिवार इनके भी आपहिज़ हो जायेंगे?क्या मिलता है?ये हत्याए कर के ?
कई मुर्दों को कफन भी नसीब  नही हो पाएंगे? 
क्या मिलता है इनके आकाओं को जो नफरत के बीज  बोते हैं?

narendra nirmohi: ::::::::::::जवानों का जज्बा :::::::::::मात्रभूमि स...

narendra nirmohi: ::::::::::::जवानों का जज्बा :::::::::::मात्रभूमि स...: ":::::::::::: जवानों का जज्बा ::::::::::: मात्रभूमि सिर्फ, धरती का टुकड़ा नही ? यह तो हमारी माता है, जननी जन्मभूमि के, काम आऊं , यही रहती, ..."
::::::::::::जवानों का जज्बा :::::::::::
मात्रभूमि सिर्फ,
धरती का टुकड़ा नही ?
यह तो हमारी माता है,
जननी जन्मभूमि के,
काम आऊं ,
यही रहती,
  भावनाएं सबकी ,
यही भाव हमे सुहाता है  
:::::::::भावना::::::::::::
शांति,प्रेम ,स्नेह का संदेश,
हमकोसबको  देते रहते ,
बिगडती  कानून व्यवस्था को
वहाल  करते, आतंकियों को जेसे,
राजनेतिक संरक्षण  मिल रहा ,
कट्टरता को अभयदान मिल रहा,
हम उसको  रोकना चाहते  ?
????????ध्येय ?????????
गुंडे चोर उच्चके मवालियों  को,
हम सबक सिखाने आये हैं
भारत माता के सच्चे सपूत 
हम आतंकवाद  मिटाने आये हैं 
तेरा वैभव अमर रहें माँ
हम दिन चार रहें न रहें  ,
माँ के चरणों में,अंतिम सांस तक,
प्राणों  को न्योछावर करने आये हैं   

narendra nirmohi: pralay?

narendra nirmohi: pralay?: "||||||||||||||प्रलय |||||||||| खोज रहीं थीं अपने प्रियों को , कुटिल अनतपुर की विषधर चालें ? क्या उनका गुरुर था , मद में डूबा,पल में टुटा , ..."

pralay?

||||||||||||||प्रलय ||||||||||
खोज रहीं थीं अपने प्रियों को ,
कुटिल  अनतपुर की विषधर चालें ?
क्या उनका गुरुर था ,
मद में डूबा,पल में टुटा ,
सोचरहे थे अहंम उन्नत विचार,

हिम शिलाएं क्षण  क्षण  टूटीं ;
प्रलय  का जाल विछ रहा,
आकाश तल से उल्काएं छूटीं,
धरा भू-मंडल ले जेसे पाताल में जा डूबी, 
सूर्य का मानों कहाँ जा छुपा था,
चारों ओर अंधकार घना पड़ा था,
प्रकाशपुंज फेलाने बाले का अहंम,
लगता था प्रलय ने लुटा था ,
जग को प्रकाशित  बिना बाधा के  करता रहेगा
सपना द्रर्ड़ता  का ,गुरुर काफूर हुआ था
चिर निद्रा  में डूबा उसका प्रकाश ,
आसमान फटा विनाश लीलाओं का,
तूफानी वेगवती अंधड़ का समा बना  था,
कब जाने किस पल क्या हो जाये? कोन जनता ?
आकश फट फट बिजली कडक कडक,
समंदर  का ह्रदय छलनी कर रही ?
मिट सा गया था धरा का वजूद ,
इतने बड़े पैमाने क्रूर  हत्याएं, खून सने लोथड़े,
यहाँ वहां आकाश  में  मडरा रहे  थे ,
जीव जानवर कागजों पन्नियों  से उड़ रहे थे,
ज्वालामुखी समूह जगह जगह फट रहे थे 
गगन चुमता लावा?भीषण विस्फोट,
ब्रहंमांड  को भयभीत किये थे ,
हर और धूम धड़ाके म्रत्यु का क्रंदन ,
सभी का स्वरुप धरा शाही,
हर जीव सजीव निर्जीव जेसे,
विनाश के लिए ही बना है?
शिवजी का मानों तीसरा नृत्य खुल गया,
समंदर के ज्वारभाटों कोआकाश संग,
मिलने का आदेश मिल गया था ?
भीषण जल पात  ,न व् पात,उल्का पात हो रहे ,
वो  निर्मोही विनाश विनाश विनाश  आखिर कियूं कर रहा?
विनाश के बाद फिर सर्जन  होता?         

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

narendra nirmohi: hindi

narendra nirmohi: hindi: "हिंदी विश्व में परिचय की मोहताज़ नही है हर देश विदेश की भाषा को समाहित करती नदी ,पहाड़ ,वायु सी स्वछन्द ,फूलों की खुशबु सी , सूरज ,चा..."

narendra nirmohi: KRANTI?

narendra nirmohi: KRANTI?: "नगे भूखे लोगों को मिला एक नया पैगाम? चाहते हो गरीबी हटे इन्कलाब लानाहोगा ? अपनी अपनी यूनियन बनाओ ? नेता नेता आगे आगे बाकि सबको मिटा डालो ? ..."

narendra nirmohi: ye ho kya rha hai?

narendra nirmohi: ye ho kya rha hai?: "bijli pani is desh ki dhrohar jl stron se bnte niyti nishulak jl muheya krati hai neta dlali kha kha videshi compneyon ko laisens dete ..."

narendrasinghsisodiya nirmohi: subidhashulkaur khatirdari?

narendrasinghsisodiya nirmohi: subidhashulkaur khatirdari?: "??????सुबिधा शुल्क ????????? >>>>>>>>>>>>>>>>>>> कलियुग की जटा में भरा है भ्रष्टाचार का जहर? जितना भी धोओगे सैम्पो से तो औरभी काला होग..."

सोमवार, 11 जुलाई 2011

narendra nirmohi: vyangs ?

narendra nirmohi: vyangs ?: "||||||||||apradhi?||||||||||| hr bhrshtachari shatir dimag vala ,aaye din nai nai chalen chlta hai, bchchon ko videshon me shift krta , ..."

vyangs ?

||||||||||apradhi?|||||||||||
hr bhrshtachari shatir dimag vala
,aaye din nai nai chalen chlta hai,
bchchon ko videshon me shift krta ,
praoperty bhi videshon me hi bnata hai
high sosuity me yh sb chlta nirmhi,
bhrshtachari ka kaladhan
videshi bankon me hi khpta hai?
{{{{{{{gungaan?}}}}}}}
netikata ke nam pe,
anetikta ki,lgane lgi dukan,
sare pkvaan fike ho gye?
bs bhrstacharin ke karnamon ke,
nity nye nye gungaan?
nirmohi stta lutne khane me lgi hai ,
aam jnta hr chij ke liye preshaan?

रविवार, 10 जुलाई 2011

narendra nirmohi: kmisan?

narendra nirmohi: kmisan?: "|||||kmisahn?||||||   daru aur nshe ki  lt se ghar ke ghar nsht hote jate? daru aur nshe ki lt pe? pratibandh lgate to neta dar..."

narendra nirmohi: DOCTER HAINYA KSAAI?

narendra nirmohi: DOCTER HAINYA KSAAI?: "DOCTERON ME SEVA BHAV AB KUCHH HI DILON ME DIKHTA HAI? HR VYATI KO HLAL KRNA ?GRIB HO YA AMIR UNHE KOI FARK NHI PDTA? LUT KHSOT KA HI B..."

DOCTER HAINYA KSAAI?

DOCTERON ME SEVA BHAV
AB KUCHH HI DILON ME DIKHTA HAI?
HR VYATI KO HLAL KRNA
?GRIB HO YA AMIR
UNHE KOI FARK NHI PDTA?
LUT KHSOT KA HI BHAV,
UNKE JMIR ME JGTA HAI?
NETIKTA KE SEVAK ANETIK HO GYE?
PRAIVET NARSING HOM,
METENIRTI WEARD KHOLTE JA RHE?
SWASTHEEE EK HRADAY HIN PESHA BNA DALA?
AC ,COLAR ,KMRON KI VSULI ,
BEDADI SE KR RHE?
PAISE KE LIYE DIL SE KRUR HO GYE?

NETA?

naetikta ko ,
katam krne,
nrtaon ne,
jnam liya ?
anetikta ,
bhrshtachar ko ,
srsbj kr
desh ke,
munh pe
kalikh ,
pot diya?
desh seva ka,
vrat le ,
apne mnsubon ko,
pura kiya?
kaladhan,
vesumar joda,
veshrmi se
kukaram kiya?

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

aakrosh?

+++++aakrosh?_+++++
aaj nhi to kl ikkisvi sdi me,
kranti jrur aayegi?
neta vhut jyayti kr rhe
,unka khun jnta sr fod fod,
chorahe pe bhayegi?
veshrm hokr
bhrshtachar
,nage hokar kr rhe?
bhrsht aur bhrshtachari,
gli gli pitenge?
yogy va berojgaron ke,
hujum ke dwara
unki achchi khasi
aarti utari jayegi?

snbhalna ?

::::::::sanbhlna :::::::
vkt ka takaza hai,
jra bchke rhiye?
aadmi bda shatir hai?
aajkal?
jra bchke rhiye?
nirmohi mithi mithi baton me
shhad gholta hi rhta hai ?
mtlb nikl jane ke bad,
phchanta vo nhi?

kmisan?

|||||kmisahn?||||||
 daru aur nshe ki 
lt se
ghar ke ghar
nsht hote jate?
daru aur nshe ki lt pe?
pratibandh lgate to
neta darugron se ,
dlali kese khate?

बुधवार, 6 जुलाई 2011

narendra nirmohi: hindi divash?

narendra nirmohi: hindi divash?: "((((((((हिंदी दिवश?)))))))) हम हिंदी को न समझे ना समझेंगे भारत वासी भिखारी हैं हम लन्दन के? अपनी गुलामी मानसिकता कब व्द्लेगे? ..."

hindi divash?

((((((((हिंदी  दिवश?))))))))
हम हिंदी को न समझे ना समझेंगे 
भारत वासी भिखारी हैं हम लन्दन के? 
अपनी गुलामी मानसिकता कब व्द्लेगे?
कम्पुटर युग में क्रांति हो हो रही?
हम अंग्रेजी  से कब जूझेंगे?
कुकुरमुत्ते से उगते
 te मिशनरी कान्वेंट स्कुल,
हम कब केसे उनकी धरती  पे भेजेंगे?
साल में एक दिन हिंदी दिवश भी अंग्रेजी बेनर तले मानते?
विदेशी पसीना भी मिले भीख मेतो ,
पसीना इत्र सेंट समझ मल एंलेंगे?
हिंदी हमारी रास्त्र भास्षा    हिंदी सभ्यता के हम दिबाने अंग्रेजी दासता से केसे मुकरेंगे?

narendra nirmohi: neta aur paisa?

narendra nirmohi: neta aur paisa?: ":::::::::::::::नेता और पैसा?:::::::::::::::::: हमारे कुछ नेता कच्ची पक्की , शराब के निर्माता ,दारू की भट्टी चलवाते हैं नेता बड़ी कुत..."

neta aur paisa?

:::::::::::::::नेता और पैसा?::::::::::::::::::
हमारे कुछ नेता कच्ची पक्की ,
शराब के निर्माता ,दारू की भट्टी चलवाते हैं
नेता बड़ी कुत्ती चीज बनी है,
हर फायदे को छांटते  जाते हैं?
जनता को जहर पिलाते जाते हैं?
गुटखा स्वस्थ के लिए कितना जहरीला ,
उत्पादन पे उत्पादन बढ्वाते  जातें हैं  ?
अपने जरा से राजस्व की खातिर ?
लोगों को मरने का परमिट थमाते हैं?
निर्मोही गरीबोंकी सोचता कोंहाई?
गरीबी हटाने की जगह गरीब को ही हटते हैं?

narendra nirmohi: sagar sa gmbhir?

narendra nirmohi: sagar sa gmbhir?: "{{{{{{ सागर सा गंभीर ?}}}}}} वाह रे सागर तूने ,कितना सहा है, कितना और तू सहेगा? ज्वार भाटे से तूफ़ान उठते? लहरें तरंगेंवेगा सी उठ..."

sagar sa gmbhir?

{{{{{{ सागर सा गंभीर  ?}}}}}}
वाह रे सागर तूने ,कितना सहा है, 
कितना और तू सहेगा?
ज्वार भाटे से तूफ़ान उठते?
लहरें तरंगेंवेगा सी उठती ?
फिर भी शांत शालीनता ,
फिर मंद मंद  उसाँसे  लेता?
 कितने ही जीवन,
इस रंग में पलते ,
कितने ही मिट जाते?
फिर भी तू शांत रहा करता?
कितने ही नश्तर, तेरे ह्रदय में चुभते ?
कितनी पीड़ा तेरे उदर में होती,
फिर भी चुपचाप सहता?अंतर  विद्रोह कब तक,
तेरे मानस पटल पे और  नही बहेगा?
तेरे गर्भ गृह  में लाखों जीव हैं पलते?
लाखो करोड़ों का तू पोषक है ?
तेरे गर्भ में कितने ही खजाने छिपे हैं?
मानव कितना दोहन शोषण तेरा करता?
फिर भी तू उफ़ नही करता?
तेरा जेसा सहन शील ,मेने ,
आज तक न देखा ,न शायद देख सकूंगा ?
तेरी मुस्कानों में कितनी लहरें कितनी तरंगे हैं  ?
खनिज सम्पदा के अपूर्व  भंडार है,
  अथाह  जल सम्पदा, तेरी कहते है?
प्रथ्वी का तिन चोथाई  भाग समंदर है ?
लेकिन तुझको ना किसीने मान दिया?
तू सबको कुछ ना कुछ देता रहता?
फिर भी सबने तेरा ही अपमान किया
जल प्रदूषित करने अपनी  गंदगी  तुझमे डालें ?
परमाणु हायड्रोजन बोम,
तेरे ही उदर में फोड़ तुझे आक्रोशित कर सांझे?
निर्मोही  तेरी पीड़ा को समझे?
मानव सा जहरीला मतलबी ,
धरा पे शायद कोई नही है?

सोमवार, 4 जुलाई 2011

rastra pida?

|||||||||||राष्ट्र  पीड़ा ?|||||||||||
 सूनी सूनीहैं धूमिल जीवन की चोपलें? 
,सूना सूनाहै दिल का कोना कोना?
वर्ग संघर्ष से जकड़ा पल पल , 
  लगता घिनोना -,घिनोना  ?
घ्रणानित स्वार्थ में,
लिप्त राष्ट्र - नायक ?
कहते देश का, कुछ भी हो जाये,
जो होना होना होना है? रुपिया पैसा ?,
सार्वभोमिकता ?सम्पदा का,
अंग बन गया?फल रहा ,फैल गया ?
ऐश का विछोअना?  बिछोअना है?
लूट ,खसोट ,भ्रष्टाचार की ,
अनुपम परम्पराये डालें नेता?
मुर्दों का देश जनतंत्र ,
जनता की बेबसी  पे रोना रोना  ?
इन्सान  का मूल्य टके सा लगता यहाँ?
छादित ,प्रजा तन्त्र ,
भोतिक सुखों से लबरेज कहता ,
प्रजातंत्र बन गया बोना -बोना  है?
निर्मोही नेता इतने बेशर्म होगये?
कहते भ्रष्टाचार तो हम करेंगे करेंगें?
हो जायेजो  होना होना है?
हम ही कानून ,हम ही सत्ता ?
देश तो हमारे आगे बोना बोना है?
जिस डाल पे हम बेठे हैं?
किउ काटेंगे भला?
जनता, सत्ता तो, 
हमारे हाथ की, खिलौना है ?
      
 

bhrshtachar?

""""""""""""भ्रष्टाचार?""""""""
महल बने फ्लेट बने  फार्म हाउसों को भी भ्रष्टाचार ने घसीटा है ?
भ्रस्टाचारी  को भ्रष्टाचारी कहो ,तो लग जाता है चीं टा ? 
भ्रष्टाचार वो दलदल है ,जो गिरा वो फंसा ?
भ्रष्टाचारी दलदली, लगाता पलीता है?
आजकल भ्रष्टाचारी सबसे ज्यादा सुखी?
नेतिकता को भ्रष्टाचार ने गली गली मोहल्ले मोहल्ले पीटा?
भ्रष्टाचार बना ,वो सतरंग ,जो आया लपेटे में ,
निर्मोही घर परिवार,समाज,देश हो या,
राजनीती हर किसी को लगा अनूठा है?

insaniyat?

||||||||||||||इंसानियत?||||||||||||
||>>>>>>>>>>>>>>>>>|
एक  इ न्सान ने इन्सान से निबाला छीना,
छीनकर कुत्ते की और को उछाल दिया?
शायद कुत्ते का पेट भरा था,
या जज्बा  शहीद होने का, दिल में जुड़ा था 
या कुत्ते के दिलमे इंसानियत जगी थी?
एक भूखा था उसके हाथ से निबला छीना  गया था?
एक भूखा न था उसे जबरन रोटी परोसी जा रही थी?
भूखा था लगता था कई दिनों का हो ,
तभी तो कुत्ते के आगे की रोटी  उठा खाने की सोची थी?
कुत्ते के दिल में मलाल आया ,टुकड़ा रोटी का उसने उठाया मुंह में दबाया? 
असहाय कमजोर जीर्ण  सीर्ण  मानव के हाथ पे रख दिया ?
 मानव के आखों से आंसू छलक पड़े?
विस्मय से आदमीके ह्रदय में घर कर लिया?
सोचने लगा क्या मानवता, इंसानियत इंसान की बपौती है?
इंसान के अंदर रहम का दरिया बहना बंद हो गया है ?
जिसे खून कहते वो जहर बन गया ? 
इंसान से ज्यादा जानवर को प्यार करता है ?
इंसान मरता है तो मर जाये?
इंसान के अंदर बहने बाला खून पानी हो गया?
निर्मोही एक जानवर  में दया जागी [इंसानियत ]जागी?
उस आदमी के आंसू यही सोच के छलके थे? 
वो बीमार था ,कई दिनों से एक  निबाला भी उसके पेट में नही गया था?
कई ताने उसने  जरुर सुने थे?शर्म नही आती भीख मांगते?
हट्टे कट्टे हो कोई मेहनत मजूरी कियु नही करते?
साब कोई भी काम करने तेयार हूँ, दीजिये?
हमने क्या ठेका ले रखा है ?दुनिया पड़ी है?
रास्ता बताओ आगे आगे चलो?
  पीने को पानी माँगा, पानी तक नही पिलाया?
यहाँ क्या प्याऊ खोल रखी है?
आजकल पानी मिलता कहाँ है ?
रात दो दो बजे कट्टी लेकर भटकना पड़ता है? ......
.निर्मोही कुत्ते के लिए दुआ निकल गई>?
भगवान तुम्हे  खुश रखे?

रविवार, 3 जुलाई 2011

aaj ke raj me?

{{{{{{{आज के राज में ?}}}}}}}
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मनजी के राज में आज भी गरीब  भूखा ही सो जाये ,
खाए नेता मंत्री व्यापारी  खीर, मालपुए ,और कोवा मौज उडाये?
नेताओं में नेतिकता दिखती नही?फिर भी भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार,
बिगड़े मंत्री, अफसर ,नेता रोअब  जमाये,
गुंडे अपराधी संसद में देखो कई धूम -चोकड़ी  मचाएं?
नेता अपराधी ब्लैक कमांडो लिए घूमें  फिर हंस कहाँ से रह पायें ?
जन विरोधी निति बना मनमानी करते जाये? संसद के बहर गाँधी  बेठा?
भ्रष्टाचार के नित नये आयाम बनाते जाएँ?
पेटेंट कानून वैश्वीकरण नीतिअपने  को क्या फायदा दे रही?
विदेशी बैंक विदेशी इंश्योस यर कम्पनीलुट मचा रहीं ?
विदेशी कम्पनिया लुट लुट अपने देश का पैसा ले जा रहीं?
अपने देश में क्षमता नही?रेल मंत्री अभी भी कोई नही?
मुख्यमन्त्री प्रदेश की बन स्तीफा भी न दे पायें  ?
कालाधन  पे चुप्पी? भ्रष्टाचार पे चुप्पी?  जाँच आयोग सी बी आई ,
  राष्ट्र  भक्तों को परेशान कर रही?ध्यान जनता का भटकाती जाये ?
भ्रष्टों के[मंत्री ,नेता ]लिए सुबिधाये भ्रष्टाचार के लिए मुहैया कर रही?
विदेशी हर धंधे में शामिल विदेशी देश रास्ट्रीय सम्पति को लुट लुट खा रहे?
 नेता अपनी वेतन  ,वि आई पि सुबिधाये कबाड़ते रहते/
१००मरेगा योजना प्रचारित हो रही?
मजदूर २६५ दिन क्या खायेगा क्या कोई सोच पाया? 
महगाई कमर तोड़ रही?सत्ता खामोश बस दलाली खाने के प्रोग्राम तेयार कर रही?
आज भी हम आज़ादी  के सातवे दशक में चल रहे विदेशिओं पे आश्रित व्यवस्था  चला रहे?
हथियारों खरीद पे देखो तो विदेशीपे आश्रित?लड़ाकू विमानों पे तो?युद्ध पोतों पे तो?
कियु अपने देश में हर तकनीक विकसित नही  की जाती,? अरबों खरवों  दलाली हम देते  
कई राजनेता दलाली का धंधा करते?और  देशों से हम हथियार  खरीदते?कियु?महंगे दामों में?    

शनिवार, 2 जुलाई 2011

prakratikimaya?

\\\\\\\\\\\\प्रकृति  की माया?\\\\\\\\\\
सूना सूना आँगन  मेरा दिया दूर टिमटिमाता रहा
दूर वहुत दूर  ध्वनिअंश ,निशाचर हमको बुलाता रहा?
मंद मंद भीनी- भीनी सी हल्की हल्की ,
महकी महकी शिरी शिरी हवा हिलोरें लेती,
पवन मुस्काती झोंके लेती तारों का झुण्ड ,
जेसे सांसदों की सभा हो रही ,
सप्त तारे मंत्री मंडल,
प्रधान चन्द्र राज,सभा के अध्यक्ष ,
 प्रकृति की माया सुशोभित हो रही ,
सब काम सिलसिले बार ,
सुनाती हमे सुगंध  बहाती  फूलों की रानी है?
जो खिल जाते , खिल  खिल के अपनी खुशबु
बहाते, बहाते बिखर जाते हैं ?
मुरझाया फूल फिर कभी नही खिलता?
अनंत में विलीन हो जाते हैं ?
निर्मोही आता इंसान जाता इंसान 
कोई भी नही यहाँ पे अमर इंसान ?
 

hva ke jhoke?

||||||||||||||हवा के झोके?|||||||||||||
|एक हवा के झोके से होगी मेरी तकरार ,
एक एक  कर वो आते रहे मे झुठलाता रहा ?
जीवन का सत्य वो बताता रहा,
मैभूलाता रहा,  झुठलाता रहा ?
हल्के  से हल्के हवा के झोके,
सूखे पत्तों को बहा ले जाते हैं?
जीवन की बगिया मै भी ऐसे ही,
  तूफान आते जाते रहते,
झोके,अंधड़ तूफान बन ,
जीवन को बहा ले जा रहे ?
हर व्यत्ति  का जीवन ,
झंझावातों मै चलता है ?
म्रत्यू के आतंकों से जीवन,
हर दिन राह बदलता है ?
जीवनकी डोर  आद्र्श्य,
हाथों से संचालित होती !
आदमी कठपुतली सा नचता रहता है ,
कोई माने न माने ,
प्रतिदिन जीव का आना- जाना?
  कई बार तो मन को ,
बड़ा ही खलता है?
कहीं शेशव मै जीवन छीना जाता ?
कहीं किशोर दम तोड़ देता है ?
कहीं कहीं युवा असमय ,
मौत की गोद मै समाताक,
हीं अच्छा भला चंगा इंसान चल देता है ?
कहीं बुड्डे खूसट , भ्रष्टाचारी ,पापाचारी ,
अपनी मनमानी करते रहते?
कहीं धर्मी कर्मी दुर्घटना मै मरता है ?
जीवन देने लेने वाले, की , अजब है लीला ?, 
वहां किसी का बस नही चलता है?
निर्मोही ,डूबे किस दुविधा मै ?
उसका चक्र  अपने हिसाब सेनहीं?
कर्मों के हिसाब से ,
एकदम सही चला करता है,
कहते नही ?जेसी करनी वेसी भरनी? 

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

sochta hun?

हरी दुर्घटना में मेरे साथ था?३५ सालोंकी दोस्ती को छोड़ इसी यात्रा पे निकल गया जहाँ से कोई वापिस नही आता? |||||||||||||सोच?|||||||||||
वक्त के थपेड़ों ने पीटा है
कोई गैर क्या करेगा,
अपनों ने अपनों को लुटा है ?
मददगार क्या करेगा?
अपनाही अपनों से रूठा है?
रुकते नही थे कदम,
अपने घर में कभी? 
उनके मुकाम के लिए ,
आंधी  आये या तूफान आये ?
चल पड़ते थे कभी भी?
सपने सजोये थे ,रुपहले,
जमीन निकल गई या,
आसमान निगल गया?
टूटे एक एक  कर कर सभी?
रहा क्या पास मेरे?
सबकुछ तो लुट गया?
निर्मोही अब इंतजार मेरे पास है?
मोत आके मिल जा  
बस अब तेरा ही इंतजार है?
 

narendra nirmohi: anterdadnd/

narendra nirmohi: anterdadnd/: "******मानसिक आन्दोलन ?****** छिछला मन छिछली बातें ,उल्ट पुलट रहा तन मन की परतें? वेभवता की भव्य अकुलाहट ,बिसरी बातों की धुंधली तस्वीरें? ति..."

anterdadnd/

******मानसिक आन्दोलन ?******
छिछला मन छिछली बातें ,उल्ट पुलट रहा तन मन की परतें?
वेभवता की भव्य अकुलाहट ,बिसरी बातों की धुंधली तस्वीरें?
तिनके ने तिनके को जला दिया,अपनों ने अपनों संग दगा किया  ?
उल्फत ने बरपा लहू, समंदर तक उसमें डूबा दिया
बीती यादों के सिहरे पल ,हंसते मुस्कराते जीवन को छल कपट से विदा किया?
सब देख रहे थे हाथों को मल- मल, कितना सुनहरा था बीता कल ?
निर्मोही आंसुओं से भीगा दामन,कियूं खामोश होगया कुछ तो बोल?
बीरान सा लगता मंजर कियु मायूसी छाई रहती पलपल / 


aaj ka yug ?

::::::::::::आज का युग ?::::::::::::::
जंगलों की बामी छोड़ सांप शहरों में आगये?
घर घर घुसपैठ कर रहे हर गली मोहल्ले में छा गये ?
साँपों के जहर से कहते हैं, बचता नही है  कोई ?
हर किसी को डसने का साथ में हैं लाये !
हर घर परिवार में, एक नही,
कई -कई सांप मडराते  रहते?
भाई न देखे, बहिन ना देखे,
  माँ बाप जो पैदा करते,
उन्हें भी छोड़ने को तेयार नही हैं?
सुना है सांप, कभी वामी में, सीधे नही जाता?
वो  आदत से हैं मजबूर विन वजह के काट रहे हैं?   
एक एक कर आदमी परिवार बनता था,
सब गुणित आज फेल हुए जाते?
में ,मेरी बीबी ,मेरे बच्चे मेरा परिवार ,
यही परिवार की आज रुपरेखा हुआ करती?
एसा ही हो रहा अगली पीढ़ी  एडवांस  टेक्नालोजी ला रही  है?
सरकार भी उनकी तरह आधुनिक होती ही जारही है?
कोरिलेशन-  शिप ,स्म्लेगिकता सरकार कानून बना आजमाती जा रही?
बिना शादी के बच्चा बिना पत्नी के बच्चा ?
 बच्चे भी लोग पेदा न करें ,पैदा  किये बच्चे को  एडोप  करे?
हो सकता २१वि. सदी में आगे समय में  बीबी नाम की चीज ही नहो?
नारी भी उठ खड़ी हुई बगावत के स्वर लिए?
हो सकता है आदमी औरत  में कोई फर्क ही नरहे?

kli ki klpna?

         कली की कल्पना ?
       """"""""""""""""""
खिलती कली ने सोचा ,
मै फूल बनूगी न्यारा 
माली मुझे तोड़ेगा 
किसी के गले का हार बनूगीं, 
प्यारा प्यारा जुल्फों में कभी किसीके 
गजरे में कभी किसी के ,
गुलदानों में लग मुस्कुराऊँगी
मेरी महक सरे घर मे फेलेगी
में खुद अपनी ख़ुशी से इतराऊँगी 
सुहाग सेज मुझसे ही सजेगी 
मै पलपल अपने को गोरान्वित कर,
अहंम से फूली नही समांऊगी
कभी भगवान के गले का हार बनूगी
कभी प्रभु के चरणों मे,
कभी पुण्यआत्माओं की,
अर्थी पे पे चढ़ जाऊँगी!
कभी बागों  मे खुशबु से च हकुंगी ,
 कभी नेताओ के गले मे स्वागत  मे पड़ जाऊंगी
कभी शादी की, वरमाला मे, मुख्य भूमिका निभा ऊँगी
हम इंसानों  को इतना करते पर सोचती हूँ ,
जो हम मुरझा जायेंगे? एक पल किसीको न भाएंगे?
सब मेरा त्याग एक एक कर विसराएंगे  ?
मतलबी ,मानव, स्वार्थी हमे ,
कूड़े -कचरे मे फेंक कर मुस्करायेंगे  ?
ये हम भी सोचते ?
जो आता है सो ऐसे ही जाता है?
वक्त वही करता जो उसे सुहाता है?
बागों मे भी होती तो फूल बन खिल जाती,
फिर खिल के, विखर जाती?
सारे चमन मे खुश्बू बिखेरती  ,
फिर एक एक  कर झड़ जाती हैं?
जवानी से प्यार,बुढ़ापा बेजार ,
बंजर बन सामने आता है?
संतोष हमे बस होता ,
यही मानव भी रोना रोता है? 
वचपन प्यारा ,जवानी मस्तानी,
बुढापे  मे होती खीचातानी? 
मरने पे  देह जला दी जाती ,
संसार चक्र भी विचित्र है बनाया, परमात्मा ने,
कोई समय से पहले ,कोई समय के बाद भी ,
कब्र मे पैर लटकाए लटकाए भी ,
दुनिया से नही खिसकता है?
कोई जनम से पहले काल का दास बन जाता ,
कोई गर्भकाल मे ही दम तोड़ भाग निकलता है?
निर्मोही हर कोई दुनिया मे अकेला आता,
और अकेला ही चला जाता , 
फिर भीइंसान कितने  ढोंग धतूरे करता है 
न कुछ लाता ना कुछ ले जाता, फिर भी सामान,
१००, १०००,१००००, १०००००साल के लिए ,
इकठ्ठा  करता रहता त्रसना लिए पैदा होता ,
त्रसना लिए लिए ही मरता है ?