#####इक्कीसवी सदी की नारी ?########
फैशन के दोर में देखो ,
फंस गई आज की नारी ,
जिस्म नुमाईश पेशा बना ,
हर दिन घर घर होरही,
विश्व सुन्दरी बनने की तैयारी ,
नग्नता केआयाम बन रहे ,
फैशन परेडों मे भीड़ है भारी ,
कहीं चड्डी कहीं ,कहीं च ड डेमें देह परोसें ,
बिकनी,ब्रेजरी प्रदर्शन की मारी ,
कोलगर्ल्स बना धंधे में उतार दीजाती
जोजिस्म नुमाईश में हारी,
टीवी फिल्म संक्राति विचित्र है ,
हर प्यारी सूरत को मोर डारन बना डारी
फूहड़ चैनलों पे नग्न धडंग उचकती फिरें ,
देखो किस्मत की बेचारी [मारी ] ?
किटी पार्टीयां दिनचर्या बन गईं
पतिको,घर वालों कोनाच नचाने की कर रहीं तैयारी ,
स्मेक,दारू ,स्मोकिंग कीआदी हो जाती
नई नसल नई पीढीकियूं सारी,
हाई स्टेटस हाईसोसायटी ,
नारीकीफिदरत बन गई ,
नग्न होने ,फिरें,कई कई नारी
निर्मोही कियूं दुविधा में जीते,
ये तो ईक्कीसवी सदी कीहो रही तैयारी
बहुत ही अच्छा और सटीक लेख है नरेन्द्र जी ! आज की सामाजिक जीवन शैली को ठीक तरह से परिलक्षित कर रहा है
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