बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

mnhgaaii?

&&&&&मंहगाई&&&&&
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मंहगाई का दोर चल रहा  आसमान छूतीं कीमतें?
सरकार नाम की कोई चीज नही  बेलगाम होती कीमतें?
व्हुरास्त्रिय कम्पनी लुट रहीं?बेहिसाब बढतीं  कीमतें?
जनजीवन गरीबों का ध्वस्त हुआ ब ढतीं जा रही हैं कीमतें ?
प्रकृति प्रदत्त पानी भी बोतलों में बंद हुआ ,वसूली जा रही हैं कीमतें?
पीने का पानी भी १०,१५रूपए   लिटर में बेचा जा रहा?जमीन कमीनों के भाव बढ़ा रही कीमतें?
खाने   पीने के बेतहाशा भाव बढ़ रहे?दलालों के भाव बढाती कीमतें ?
 विश्व  में वैश्विकर्ण की मंदी छा रही?देश में फिर भी उछाल भर रहीं कीमतें?

2 टिप्‍पणियां:

  1. Ek Tha Sardar,
    Baitha Tha Bekar,
    Mehangai se Tha Lachar,
    Uski Ma Ko Aaya Vichar,
    Khilaya Usko sindhi Achar,
    Ho Gaya Chamatkar
    Aur laafa khaye SHARAD PAWAR ...

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  2. मुस्कुराने से तुम्हारे कभी कुछ न बिगड़ जाएगा, मगर ऐसे में,
    महंगाई के दौर में, हमें मुफ्त में जीने का बहाना मिल जाएगा,

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