प्रदुषण से हार के ,जीने का मोह,
छोड़ गये पक्षीराज?
मानव को , आज की मानवता
खाए जा रही, बढती जा रही,
अनेतिकता की रफ्तार ?
नेतिकता,इंसानियत ,किस,
कोने पड़ी सिसकती ?शेतानियता ,
खुले आम करती फिरती अभिसार?
मरुस्थल में हरियाली, पग -पग खिलती,
बंजर बनते जारहे शहरों में बागे बहार?
राह चलना दूभर हो गया ?
बढती जारही वाहनोंकी कतार?
निर्मोही तुम कियूं दुखी हो रहे?
२१ व़ी सदी क्या शुरु से ही ?
दिखा रही अपना जलबा बार बार!
गुजरात भूकम्प त्रासदीसे गुजरा ,
चीन अमेरिका तक मे बढ़ का कहर,
कई जगह सुनामी का प्रकोप से तवाही आई थी ,
तुनामी ने जापान की हालत खस्ता ,
करके रख दी इस बार ?
ज्बालामुखी के राख के बबंडर ये तो,
२१ वीं सदी के पहले दशक की दस्तक थी ?
भविष्य में ९दशक किसे मिटायेगे ,किसे सजोयेंगे,
नियति फेसला करेगी इस बार?
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