गुरुवार, 23 जून 2011

21vi.sdi, klpna?

प्रदुषण से हार के ,जीने का  मोह,
छोड़ गये पक्षीराज?
मानव को , आज की मानवता 
खाए जा रही,  बढती जा रही,
अनेतिकता की रफ्तार ?
नेतिकता,इंसानियत ,किस,
कोने पड़ी सिसकती ?शेतानियता ,
खुले आम करती फिरती अभिसार?
मरुस्थल  में हरियाली, पग -पग खिलती,
बंजर बनते जारहे शहरों में बागे बहार?
राह चलना दूभर हो गया ?
बढती जारही वाहनोंकी कतार?
निर्मोही तुम कियूं दुखी हो रहे?
२१ व़ी  सदी क्या शुरु से ही ? 
दिखा रही अपना जलबा  बार बार!
गुजरात भूकम्प त्रासदीसे गुजरा , 
चीन अमेरिका तक मे बढ़  का कहर,
कई जगह सुनामी  का प्रकोप से  तवाही आई थी ,
तुनामी ने जापान की हालत खस्ता ,
करके रख  दी इस बार ?
ज्बालामुखी के राख के बबंडर ये तो, 
२१ वीं सदी के पहले दशक  की दस्तक थी ?
भविष्य में ९दशक  किसे मिटायेगे ,किसे सजोयेंगे,
नियति फेसला करेगी इस बार?          

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