गुरुवार, 23 जून 2011

aatm stuti

हम राणाप्रताप वंशज ,
सिसोदियों के मान रहे
  मनहर के  हम कुलदीपक
सात भाइयों की   जान  रहे
कवि भूषण पिताश्री ने 
 हममे काव्य शंख फूंका था
कविता हमारी विचार अभिव्यक्ति  
हमने अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा  था?
हमारी कविता को कविता कहों या,
प्रयोगशीलता या व्यंग?या ,
अकुकांत तुकबन्दी या कहोंया  फूहड़  हठधर्मी ,
हमने हिंदी साहित्य देश सेवा व्रत  उठाया है
व्यंग,हस परिहास,तीखापन हमने,
सबको अपने रंग में आजमाया है
स्नेह प्रेम मनोवल से आपने हमारा ढाढस   बढ़ाया  है 
राग द्वेष किसी से नहीसत्य को
सत्य कहने का होसला बनायाहै
आत्मनों को हर दिन खुश गुबार गुजरे
भारत माँ ,अपनी भारत माँ  की सेवा करें
माँ से बढ़कर किसीको मान न दें, 
  भ्रष्टाचारियों को न अभिमान दें   

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