शनिवार, 2 जुलाई 2011

hva ke jhoke?

||||||||||||||हवा के झोके?|||||||||||||
|एक हवा के झोके से होगी मेरी तकरार ,
एक एक  कर वो आते रहे मे झुठलाता रहा ?
जीवन का सत्य वो बताता रहा,
मैभूलाता रहा,  झुठलाता रहा ?
हल्के  से हल्के हवा के झोके,
सूखे पत्तों को बहा ले जाते हैं?
जीवन की बगिया मै भी ऐसे ही,
  तूफान आते जाते रहते,
झोके,अंधड़ तूफान बन ,
जीवन को बहा ले जा रहे ?
हर व्यत्ति  का जीवन ,
झंझावातों मै चलता है ?
म्रत्यू के आतंकों से जीवन,
हर दिन राह बदलता है ?
जीवनकी डोर  आद्र्श्य,
हाथों से संचालित होती !
आदमी कठपुतली सा नचता रहता है ,
कोई माने न माने ,
प्रतिदिन जीव का आना- जाना?
  कई बार तो मन को ,
बड़ा ही खलता है?
कहीं शेशव मै जीवन छीना जाता ?
कहीं किशोर दम तोड़ देता है ?
कहीं कहीं युवा असमय ,
मौत की गोद मै समाताक,
हीं अच्छा भला चंगा इंसान चल देता है ?
कहीं बुड्डे खूसट , भ्रष्टाचारी ,पापाचारी ,
अपनी मनमानी करते रहते?
कहीं धर्मी कर्मी दुर्घटना मै मरता है ?
जीवन देने लेने वाले, की , अजब है लीला ?, 
वहां किसी का बस नही चलता है?
निर्मोही ,डूबे किस दुविधा मै ?
उसका चक्र  अपने हिसाब सेनहीं?
कर्मों के हिसाब से ,
एकदम सही चला करता है,
कहते नही ?जेसी करनी वेसी भरनी?