गुरुवार, 21 जुलाई 2011

ye kesaa sa junun hai ?

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हिंसक दरिंदों ने कई निहत्थे , मासूम को गोलियों से भून डाला?
कई महिलाओं के बच्चों को, वम बिस्फोट से उड़ा डाला ?
बुड्डे नादेखे जवान ना देखे?सबको एक सेकंड  में मुर्दा कर डाला?
मानवता नही,इंसानियत नही ,हैवानियत, दरिंदगी का मंजर दिखा डाला?
किसीका भी ,किसीकी जीवन की लाठी छिनी?किसीके सपनों को चूर चूर कर डाला ?
किसीसे  भाई छीना, किसीके बच्चे को छीना, किसी से  पति,
किसीके सर  से उसके  पिता का साया छीन मारा ?
खुनी   जेहाद ,अंधी धर्मान्धता के झंडे गाड़े ,
मुल्ला  मोलवी पीर फकीरों  के मुंह  से एक शब्द  न फूटा?
आदमी एक मरता परिवार सारा नरक की आग में झुलसता है? 
क्या निर्दोषों को मर जन्नत पाएंगे?क्या कभी सोचा है?
येकुत्ते की मोत मारे  जायेंगे?चिल कोवे भींकी लाशोंको हाथ ना लगायेंगे?
परिवार इनके भी आपहिज़ हो जायेंगे?क्या मिलता है?ये हत्याए कर के ?
कई मुर्दों को कफन भी नसीब  नही हो पाएंगे? 
क्या मिलता है इनके आकाओं को जो नफरत के बीज  बोते हैं?

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