((((((((((क्या यह सत्य है )))))))))))))
चेहरे बदल जाते, होते हैं एक से फिदरती इंसान>?
एक फिदरती इंसान ने किया ऐसा ही कमाल ?
करोड़ों अरबों की सम्पति इकठ्ठी कीऔर होगया निहाल ?
फुटपाथी था कभी जी हजुरी किया करता था ,
एक नेता के पैर पकड़ लिए, और सीढियाँ चढ़ता गया!
मंजिल पा भूल गया सबकुछ तोड़ डाली बैशाखी ?
और जेसा होता आया चलने लगा अपनी फिदरती चाल,
हर नेता की एक सी कहानी,हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार ,
कालाधन विदेशी बैंकों मे है ,सूखा हो या बाढ़ आये ,
सब नेता अफसरों को गंगा नहानी है
जनसेवा की बाते तो आजकल बेमानी है
यह झूठी नही सच्ची नेताओ की कारस्तानी है?
निर्मोही पेर छुलाऊ संक्राति चल रही कोई क्या करेगा
जनता जानते बूझते उनकी दीवानी?