हरी दुर्घटना में मेरे साथ था?३५ सालोंकी दोस्ती को छोड़ इसी यात्रा पे निकल गया जहाँ से कोई वापिस नही आता? |||||||||||||सोच?|||||||||||
वक्त के थपेड़ों ने पीटा है
कोई गैर क्या करेगा,
अपनों ने अपनों को लुटा है ?
मददगार क्या करेगा?
अपनाही अपनों से रूठा है?
रुकते नही थे कदम,
अपने घर में कभी?
उनके मुकाम के लिए ,
आंधी आये या तूफान आये ?
चल पड़ते थे कभी भी?
सपने सजोये थे ,रुपहले,
जमीन निकल गई या,
आसमान निगल गया?
टूटे एक एक कर कर सभी?
रहा क्या पास मेरे?
सबकुछ तो लुट गया?
निर्मोही अब इंतजार मेरे पास है?
मोत आके मिल जा
बस अब तेरा ही इंतजार है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें