|||||||||||राष्ट्र पीड़ा ?|||||||||||
सूनी सूनीहैं धूमिल जीवन की चोपलें?
,सूना सूनाहै दिल का कोना कोना?
वर्ग संघर्ष से जकड़ा पल पल ,
लगता घिनोना -,घिनोना ?
घ्रणानित स्वार्थ में,
लिप्त राष्ट्र - नायक ?
कहते देश का, कुछ भी हो जाये,
जो होना होना होना है? रुपिया पैसा ?,
सार्वभोमिकता ?सम्पदा का,
अंग बन गया?फल रहा ,फैल गया ?
ऐश का विछोअना? बिछोअना है?
लूट ,खसोट ,भ्रष्टाचार की ,
अनुपम परम्पराये डालें नेता?
मुर्दों का देश जनतंत्र ,
जनता की बेबसी पे रोना रोना ?
इन्सान का मूल्य टके सा लगता यहाँ?
छादित ,प्रजा तन्त्र ,
भोतिक सुखों से लबरेज कहता ,
प्रजातंत्र बन गया बोना -बोना है?
निर्मोही नेता इतने बेशर्म होगये?
कहते भ्रष्टाचार तो हम करेंगे करेंगें?
हो जायेजो होना होना है?
हम ही कानून ,हम ही सत्ता ?
देश तो हमारे आगे बोना बोना है?
जिस डाल पे हम बेठे हैं?
किउ काटेंगे भला?
जनता, सत्ता तो,
हमारे हाथ की, खिलौना है ?
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