जीवन दर्शन?
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शून्य अधर सा जीवन
इस काया का अंत विलक्षण?
काया मिलती माटी में,
हड्डी गलती पानी में?
में घूम रहा था ,मन वहाँ नही था?
जनम मरण का प्रश्न वहीं था?
सोचो या ना सोचो,
मन माने नही मानता है ,
बुलबुला धीरे धीरे,
हवाके दबाब कोही जानता है,
,साँस प्रसांसके आने जाने से ,
सब ख़त्म हो जाता है?
ऐसा क्षणभंगुर है जीवन ?
पल में जीवन ,पल में मरण ?
कब कोन जाने ,
किस स्थिति में,
कोन जाएगा?
सभी और है मौत का मों न स्पन्दन
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