बुधवार, 29 जून 2011

jntantr?

          जनतंत्र ?
          >>>>>>
नेता मेरे देश के,
दो मुंह बाले .,
दोगले ,बेईमान
जनता अच्छा समझ,
चुनचुन हो रही है हेरान  ?
मुखोटे बदल जाते?
हैं तो सारे,
एक जेसे इंसान
कई कई  तो ,
बिना जिताए ही 
जीत जाते, नकली बोटिंग,
कराते फर्जी मतदान?
कई कई तो बूथ कैप्चरिंग के महारथी?
कई आतंकी ,नक्सली ,माओवादियों की ,
पकड़े फिर रहे कमान ?
कई कई भूमाफियाओं के  लीडर?
कई माफियाओं के सरगने ?
कई गुंडों के सरदार ?
कई पैसों के बल,चला   रहे  
 अपनी राजनीती की दुकान?
भ्रष्टाचारी हैं?अत्याचारी हैं?
हेवानियता  के अबतारी हैं ?
कालाधन इनका विदेशों में 
,ये राष्ट्रद्रोही राष्ट्र सम्पदा के
  लुटने के जन्घय अपराधी हैं?
ये निर्मोही प्रजातंत्र ,लोकतंत्र ,
जनतंत्र के मिटते निशान ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें