गुरुवार, 30 जून 2011

JIVAN?

जीवन?;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
जीवन शायद एक भोजन है,
संसार एक थाली,
भगवान् इसका रसोइया ,
भांति भांति के,
व्यंजन परोसे
खुद ही परोसे ,
खुद ही खाए  ?
यही बात न ,
मन को भाये?
जीवन शायद एक बगीचा ,
बगीचे का एक माली ,
जो भांत भांतके पोधे लगाता ,
यहाँ ,जो नित्य ही, फलते ,
नित्य फूलते ?नित्य मुरझाते ?
,तपस से ,अंधड़ से झड़ जाते /
नियति  परमात्मा की ?,
बनाता वही मिटाता वही ?
जीवन एक सबेरा ,
संत कह गये,
ना घर तेरा न घर मेरा ,
चिड़िया रेन बसेरा ?
हर रोज़ सबेरा होता है,
हर सवेरे  की
,
 शाम होती है 
हर दिन शाम अँधेरा  होता है?
बचपन से जवानी,जवानी से बुढ़ापा,
फिर कालने ,एक दिन मुंह ढांप दिया? 
  न कोईरहा है न रहेगा?
हर व्यति यहाँ आता जाता रहेगा ?
यहाँ मेला भरेगा ,
भरेगा ,फिर खाली होगा ,
फिर भरेगा फिर खाली होगा ?, 
फिर भरेगा  फिर खाली होगा  

इसलिए निर्मोही ॐ  नाम से प्रीत लगा ले ,
जग माया का चक्कर छोड़ना है, तो ,?
अपने ह्रदय ॐ नाम का अंजन लगा ले ,
यह पहाड साजीवन का  समय कट जाएगा 
निर्मोही ,तेरा जीवन भी सफल हो जाएगा ?
    

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