कितना तनाव जीवन में ?
कोंन मन से सुखी बोलो ?
कारणअर्थ ही समझ में आया ?
कोंन अर्थ से सुखी है बोलो?
कितने निर्दोषों का लहू ?
अर्थ पाने लोगों ने?
मानवता से हटकर बहाया?
इंसानियत छोड़,
हेवानिय्त का सहारा लिया ?
फिर भी अर्थ वह पे कोंन ले गया ?
कहते हैं?सिकन्द् र ?
विश्व योद्धा भी गया था?
ख़ाली हाथ ही गया था?
चंगेज़ खान, हिटलर ,मुस्लोनी,
बोलो कोंन कोंन क्या ले गया था?
ख़ाली हाथ आना ख़ाली हाथ जाना ?
फिर ये हेवानियत का?
नंगा नाचकिसलिए? किसलिए?
मन का धन कितना भी करलो ?
धन क्या ले जा पाओगे/?
जब विस्तरे पे गिर गये
[कहते हैं उसकी लाठी में आबाज़ नही?होती]
रोओगे, चिल्लाओगे, गिड़ गिड़ाओगे,
तड़पोगे , मंगोंगे मोंत तो म़ोत नहीं मिलेगी?
घिसटोगे,लकबा लग जाएगा ,
दुखती रग को उसने ही बनाया है?
वो कहेगा पेसे से अब जीवन की साँस भी खरीद लो ?
तब क्या भ्रष्टाचार ,कालाधन संग्रह ,
तेरे पाप काम आयेंगे?
उसने ही बिमारियों का जाल बिछाया है?
सुगर वाला मीठा खाने को तरसे ?
लकवे वाला , पोलियो वाला चलने को तरसे>?
म़ोत चाहने बाला म़ोत को तरसे?
कभी कभी एक दिन का बुखार, सारे शरीर को तोड़ दे ?
प ह लवान शेर कोभी उसने कमजोर करके दिखाया है?
वायरस का एड्स का केंसर का भय भी उसने ही जगाया है ?
इन्सान जीता अर्थ के लिए इंसान मरता अर्थ केलिए/ लिए?
आदमी आदमी को मार डालता स्वार्थ अर्थ के लिए?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें