बुधवार, 22 जून 2011

stta ki dlali?

सत्ता कहती [आत्मवलोकन]योग्यता गई तेल लेने ?
बाज़ारों में टके सी बिकती है ?
विदेशों का ख्याल हमे रखना पड़ता?
जिसके लिए  हमे? तगड़ी दलाली मिलती है ?
योग्यता को हम विदेशों को निर्यात करते ?
जिससे ह् मारी रोजी रोटी चलती है 
हमारी भ्रष्टाचार की  रकम ,
हमारे विदेशी खातों में जमा होती है?
हमारी मेहनत को जनता कालाधन कहती है ?
पहले लाखो करोड़ों में होती थी ?
अबतो हजारों करोड़ों में होती है?
सेकड़ों विदेशी कम्पनी  बिन मांगे हमारे खातों में जमा करती?
  जनता कहती हमारी फिदरत दिखती है?

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