हिंसक दरिंदों ने कई मासूमों को ,
गोलियों से भून डाला ,
कई बच्चों , किशोरों ,युवाओं को ,
बम विस्फोट से उड़ा डाला,
किसीकी जिन्दगी की लाठी ,
किसीके भाई को,किसीके जबाई को ,
किसी के बच्चेको ,उसकी माँ से छिना,
किसी बहिन के भाई को,उससे जुदा किया
किसीके पिता किसीके पति को एक झटके में उड़ा डाला ?
जेहादी अंधी धर्मान्धता के झंडे तले ,
मुल्ला मोलवियों के जेहादी स्वर को भुना डाला,
आदमी एक मरता , सारा की सारा परिवार ,
क्या इन्हें मार?जन्नत पायेंगा?
शह जिने देते आये क्या?वो सारा कुनबा ?जन्नत जाएगा ?
क्या कभी सोचा ये आतंकी ,जेहादी ?
कुत्ते की मोत मारे न जायेंगे?
चिल कोवे भी इन्हें खाने से बाज आयेंगे?
क्या कह सकते हो तुम्हारे मरने पे'ये कुनबा,
नर्क की आग में झुलसता जिन्दा बच पायेगा?
जिनने इन्हें आतंकी खुनी जेहादी बनाया है
वही लोग खुलके चटखारे लगायेंगे ?
खुद तो कभी लड़ने जाते नही ?
कब तक माईन्ड ब्रेन वाश कर कर
,लोगों को वेवजह मरवाएंगे?
परिवार इनके भी अपाहिज बनेगे ?
कई मुर्दों को ,कफन भी नसीब ना हो ,पायेंगा ?
बंद करो ये आतंकी कैंप, बंद करो ये हिंसक उपद्रव ?
शांति से रहो शांति से रहने दो? न आदमी ,
कुछ लेकर के आता, न ही कुछ लेकर के जाता?
ये खुनी जेहाद ,आतंक का खेल,
ये लोग कब तक खेलते जायेंगे?
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