बुधवार, 22 जून 2011

mn ke kante

[१]आप क्या  भगवान हैं ?
जो करें प्रवचन रोज?
अपने को ज्ञानी ध्यानी समझें?
थोपना चाहते अपनी सोच>?
[२]आत्म वंचना है जीवन ?
स्वार्थ अहंम  की देंन ?
/न छोड़ा जाये हट मानस ,
न जाने कोंन सी पकड़ रखी है लेंन ?
[३]तेरे मेरे के फेर में,
मन गुलाटें खाए ?
अहंम भरा मय  में  में  मेए?
मन हर पल गुलाटें खाए?
[४]मन बना है जानवर?
किसके कहने से चलता जाये
जंगलराज शहरों में फेला 
कोंन जाने ? कब ?शिकार हो जाये?
[५]भोग रोग तो महारोग है 
कोई भोग से, मुक्त न हो पाए  
,म्रत्यु काया का विसर्जन ,
अपने पास कुछ भी न रह जाये ?
[६]ये रूप लावण्यता तो,
ढाह  जाएगी कियु?
रूप का करो अभिमान 
जीवन म्रत्यु तो साधना 
कियूं अपने को समझो महान?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें