[१]आप क्या भगवान हैं ?
जो करें प्रवचन रोज?
अपने को ज्ञानी ध्यानी समझें?
थोपना चाहते अपनी सोच>?
[२]आत्म वंचना है जीवन ?
स्वार्थ अहंम की देंन ?
/न छोड़ा जाये हट मानस ,
न जाने कोंन सी पकड़ रखी है लेंन ?
[३]तेरे मेरे के फेर में,
मन गुलाटें खाए ?
अहंम भरा मय में में मेए?
मन हर पल गुलाटें खाए?
[४]मन बना है जानवर?
किसके कहने से चलता जाये
जंगलराज शहरों में फेला
कोंन जाने ? कब ?शिकार हो जाये?
[५]भोग रोग तो महारोग है
कोई भोग से, मुक्त न हो पाए
,म्रत्यु काया का विसर्जन ,
अपने पास कुछ भी न रह जाये ?
[६]ये रूप लावण्यता तो,
ढाह जाएगी कियु?
रूप का करो अभिमान
जीवन म्रत्यु तो साधना
कियूं अपने को समझो महान?
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