गुरुवार, 23 जून 2011

nai sdi me aashakiti?

नियति की गोद में फैली हैं ,
गुमसुम-गुमसुम,प्रक्रति की सौगातें ?
फूलों की तरुनाई जिसमे,
तितली भंवरों की गुपचुप -गुपचुप बातें ?
मधुर शहद वाणी से टपके ,
शीत यामिनी वरसाती ओस  की फुहारें ?
नाना पतंगे,जलते शमां में,
  निकसे,निर्वाण  से ,नित नई बहारें, ?
ऐसे ही आता, आदमी ,जाता आदमी,
ना ही कुछ , लेकर के आता ,
ना कुछ , ले क र के, जाता ?
फिर भी, समेटे रहता ,
आकाश समेटने बाँहे कियु ?

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