मेरा देश का क्या कर रहे हो?
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धर्म और देशको अपनी भूख न बनाओ?
धर्म और मजहब के नाम अपनी रोटी मत चलाओ ?
इंसानियत भी कोई चीज है, अनेतिकता को न आजमाओ?
सवर्ण, दलित, पिछड़ा ,अल्प संखयक गोटी मत खेलो?
जनता भोली भाली इन्हें न यूँ ही बुद्धू और न बनाओ?
इन्सनियता को कियूं गंदा कर रहे >?
बहुत कर चुके मनमानी ,अब और पाप न कमाओ?
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