सरकार करोड़ों अरबों की सबसिटी
देने का ,प्रोपगंडा करती है
फायदा पूंजी पतियों को देती
जिसका फायदा दोनों मिलकर उठाते हैं ?
अरबों खरबों डीलिंग का पैसा
रास्ट्रीय सम्पति को दोनों मिल चुना लगाते हैं ?
जो ये, मिलकर हजम कर,
विदेशी बैंकों में जमा कराते हैं
वोही कालाधन,जोराष्ट्र का है ,
जनता वापिस चाहती है?इसमें भ्रष्टाचारियों को,
मिर्ची कियूं लगती है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें